‘मेड इन इंडिया’ 1,340 वेंटिलेटर राज्यों को सौंपे जा चुके : केंद्र सरकार

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष द्वारा 50,000 ''मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटरों के निर्माण में से 3000 का निर्माण हो गया है और विभिन्न राज्यों को 1,300 से अधिक वेंटिलेटर दिए जा चुके हैं.

‘मेड इन इंडिया’ 1,340 वेंटिलेटर राज्यों को सौंपे जा चुके : केंद्र सरकार

पीएम केयर्स फंड द्वारा 50,000 ''मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटरों के निर्माण में से 3000 का निर्माण हो गया है

खास बातें

  • पीएम केयर्स फंड द्वारा 50,000 ''मेड इन इंडिया’ वेंटिलेटरों का निर्माण
  • 50,000 में से 3,000 का हुआ निर्माण
  • विभिन्न राज्यों को 1,300 से अधिक वेंटिलेटर दिए जा चुके हैं
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स) द्वारा 50,000 ''मेड इन इंडिया' वेंटिलेटरों के निर्माण में से 3000 का निर्माण हो गया है और विभिन्न राज्यों को 1,300 से अधिक वेंटिलेटर दिए जा चुके हैं. पीएम केयर्स कोष ट्रस्ट ने 14 मई को कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के लिए 3,100 करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला किया था और इस राशि का इस्तेमाल अन्य कार्यों समेत वेंटिलेटर खरीदने और प्रवासी श्रमिकों की देखरेख मे किया जाना था. इस 3,100 करोड़ रुपये की राशि में से करीब 2,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल 50,000 ‘मेड इन इंडिया' वेंटिलेटरों की खरीद के लिए करना तय किया गया.

एक आधिकारिक बयान में मंगलवार को कहा गया, ‘अब तक 2,923 वेंटिलेटरों का निर्माण हो गया है जिनमें से 1,340 वेंटिलेटरों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सौंपा जा चुका है.' इस महीने के अंत तक अतिरिक्त 14,000 वेंटिलेटर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सौंपे जाएंगे. बयान में बताया गया है कि सबसे ज्यादा वेंटिलेटर हासिल करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र (275), दिल्ली (275), गुजरात (175), बिहार (100), कर्नाटक (90), राजस्थान (75) है.

इन 50,000 वेंटिलेटरों में से 30,000 का निर्माण सरकारी उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कर रही है. वहीं बाकी 20,000 वेंटिलेटरों का निर्माण एगवा हेल्थकेयर (10,000), एएमटीजेड बेसिक (5650), एमएमटीजेड हाइ एंड (4000) और अलाइड मेडिकल (350) कर रही है. प्रवासी श्रमिकों के कल्याण का हवाला देते हुए बयान में कहा गया कि 1000 करोड़ रुपये की राशि प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जारी की जा चुकी है.

कोरोना वायरस महामारी के बीच अपने राज्य लौटने की इच्छा रखने वाले लाखों प्रवासी श्रमिकों के लिए कई विशेष ट्रेनें चलाईं गईं. वहीं कई कामगार अपने पैृतक स्थान के लिए पैदल ही सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर निकल गए. कोष के वितरण का आधार 2011 की जनगणना तथा कुछ निर्धारित मानकों को बनाया गया ताकि सभी के लिए मूल न्यूनतम राशि सुनिश्चित की जा सके. इस कोष का इस्तेमाल लोगों को रखने, भोजन, इलाज और प्रवासी श्रमिकों की यात्रा की व्यवस्था में किया जाना था.

बयान के अनुसार महाराष्ट्र को 181 करोड़ रुपए, उत्तर प्रदेश को 103 करोड़ रुपए, तमिलनाडु को 83 करोड़ रुपए, गुजरात को 66 करोड़ रुपए, दिल्ली को 55 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल को 53 करोड़ रुपए, बिहार को 51 करोड़ रुपए, मध्य प्रदेश के 50 करोड़ रुपए, राजस्थान को 50 करोड़ रुपए और कर्नाटक को 34 करोड़ रुपए मिले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई और इसी तरह की ‘परेशानी वाली स्थिति' के लिए प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स) की स्थापना की घोषणा की थी, जहां लोग मदद के लिए दान कर सकते हैं. इस न्यास का गठन 27 मार्च को हुआ और इसका नेतृत्व प्रधानमंत्री के पास है. न्यास के अन्य पदेन सदस्य रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री हैं.
 

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