नगालैंड के दीमापुर में भीड़ के हाथों पीट-पीटकर मार दिए गए कथित बलात्कार के आरोपी के भाई जमालुद्दीन खान ने दावा किया है कि जिस महिला ने उनके भाई के खिलाफ रेप की प्राथमिकी दर्ज कराई थी, मेडिकल रिपोर्ट्स में उसके साथ ऐसी कोई भी घटना सामने नहीं आई।
वहीं कथित रेप पीड़िता ने भी बयान दिया है कि पूरी घटना के बाद उसे शांत रहने के लिए रुपयों की पेशकश की गई। पीड़िता ने एनडीटीवी से कहा, 'आरोपी मेरा पड़ोसी था... उसने मुझे मुंह बंद रखने के लिए 5000 रुपये दिए... मैंने वे पैसे लिए और पुलिस थाने में दे दिए।'
घटना को याद करते हुए वह बताती है, '23 फरवरी की रात को मामले के दूसरे आरोपी ने मुझे स्नैक्स खाने बुलाया था। उसने मुझे बताया कि वह अकेला था, इसलिए मैं उसके पास चली गई। वहां पहुंच कर मैंने देखा कि उसके साथ एक और व्यक्ति है। इस पर मैंने जाने से मना कर दिया, लेकिन उसने मुझसे कहा कि जब मैं उसके साथ हूं तब सब कुछ ठीक है।'
इसके साथ ही उसने बताया, 'थोड़ी देर बाद वह सहआरोपी अपने किसी दोस्त मिलने के लिए वहां से चला गया... इसके बाद मुख्य आरोपी ने अपनी कार चालू की और मुझे होटल के एक कमरे में ले गया, जहां उसने मेरे साथ दो बार बलात्कार किया।'
हालांकि इस मामले में आरोपी के भाई जमालुद्दीन खान ने एनडीटीवी से बात करते हुए आरोप लगाया कि नगा संगठनों ने उनके भाई सैयद शरीफुद्दीन खान को फंसाया है और उन्हें 'बलि का बकरा' बनाया। उन्होंने पुलिस को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि वह घटना के वक्त हाथ पर हाथ धरे बैठे रही।
जमालुद्दीन खान ने कहा, 'क्या नगालैंड सरकार जंगलराज चला रही है? जिस लड़की ने प्राथमिकी दर्ज कराई वह रिश्ते में मेरे भाई की पत्नी की बहन लगती है। नगालैंड पुलिस भी यह कह चुकी है कि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है।'
जमालुद्दीन ने कहा कि मेरे परिवार से कई लोग सेना में हैं, वह उसे बांग्लादेशी कहकर कैसे मार सकते हैं? मेरे भाई को बली का बकरा बनाया गया।
उन्होंने कहा कि वह और उनके एक और भाई, कमाल खान इस वक्त भारतीय सेना की असम रेजिमेंट में हैं। उनके एक और भाई, इमामुद्दीन खान भी सेना में थे और 1999 की करगिल लड़ाई में शहीद हो गए थे। उनके पिता, सैयद हुसैन खान, भारतीय वायु सेना से रिटायर हुए थे और मां अभी उनकी पेंशन ले रही हैं। जमालुद्दीन खान ने दावा किया कि उनका परिवार असम के करीमगंज जिले का रहने वाला है।
इस पूरे मामले में कई सवाल एक साथ खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। सवाल सैयद शरीफुद्दीन खान को आरोपी बनाए जाने को लेकर भी है कि आखिर किस मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उन्हें एक नगा महिला से रेप का आरोपी बनाया गया। पीड़िता कहां की रहने वाली है, इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं और किस आधार पर पुलिस ने शुरुआत में ही यह दावा किया कि सैयद शरीफुद्दीन खान अवैध रूप से रह रहा बांग्लादेशी है।
गौरतलब है कि गुरुवार को, सैयद शरीफुद्दीन खान को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। दीमापुर के सेंट्रल जेल में रेप के आरोप में बंद शरीफुद्दीन को दो हजार लोगों की गुस्साई भीड़ ने बाहर निकाला और नग्न अवस्था में परेड कराया। भीड़ उन्हें दम निकलने तक मारती रही और उसके बाद क्लॉक टावर से उनकी लाश टांग दी।
नगा सिविल सोसायटी ने हालांकि इस घटना की निंदा की है लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों पर हमला भी बोला। संगठन ने आरोप लगाया कि दोनों ही सरकारें अवैध रूप से क्षेत्र में रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर लापरवाह हैं। यह भी कहा गया कि संदिग्ध सैयद शरीफुद्दीन एक अवैध रूप से रह रहा बांग्लादेशी ही था।
नगा काउंसिल के महासचिव जोएल नागा ने कहा, 'असम सरकार की वोट बैंक पॉलिसी से हम गुस्से में हैं। सिर्फ 50 रुपए खर्च कर कोई भी भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है और यहां नौकरी भी शुरू कर सकता है। हम खान को अवैध बांग्लादेशी के रूप में ही देखते हैं, भले ही उसके पास डॉक्युमेंट्री प्रूफ क्यों न हों।'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं