ले. जनरल प्रवीण बख्शी
नई दिल्ली:
ईस्टर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी ने बुधवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात की. नए थल सेना प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत के नाम के ऐलान के बाद पहली बार ईस्टर्न आर्मी कमांडर और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के बीच यह मुलाकात हुई. 15 मिनट तक चली गई इस शिष्टाचार मुलाकात में दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, यह अभी साफ नहीं है.
सूत्रों का कहना है कि ईस्टर्न आर्मी कमांडर के कहने पर रक्षा मंत्री ने उनसे मुलाकात की. हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी इस्तीफा देंगे या नहीं, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता.
आपको ये बता दें कि सरकार ने 17 दिसंबर को ही दो वरिष्ठ अधिकारियों के नजरअंदाज लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत को नए सेना प्रमुख बनाने का ऐलान किया. लेफ्टिनेंट जनरल रावत से एक साल वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी हैं और लेफ्टिनेंट जनरल रावत से छह महीने वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज हैं, लेकिन इन दोनों की वरिष्ठता की अनदेखी कर सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत को मौजूदा सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह का उत्तराधिकारी घोषित किया है.
सेना में कुछ एक मौकों को छोड़ दिया जाए तो अब तक परंपरा रही है कि वरिष्ठ अधिकारी को ही सेना प्रमुख बनाया जाता है, लेकिन सरकार ने इस बार इसके बदले मेरिट को तरजीह दी है.
जानकारों का कहना है कि अब लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी के पास अब सीमित विकल्प ही बचते हैं. अब जबकि रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि न तो लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ बनाया जा रहा है और ना ही परमानेंट चेयरमेन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी बनाया जा रहा है, ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल के पास दो ही विक्ल्प बचते है या तो अपने जूनियर के नीच काम करें या फिर अपने पद से इस्तीफा दे दें. सेना में अब तक ये परंपरा रही है ऐसे हालात में सीनियर अपने जूनियर के अधीन काम करना पसंद नहीं करते हैं और वे अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देते हैं.
अब देखना ये होगा क्या जब लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी रक्षामंत्री से मिलेंगे तो अपना इस्तीफा सौपेंगे.
सूत्रों का कहना है कि ईस्टर्न आर्मी कमांडर के कहने पर रक्षा मंत्री ने उनसे मुलाकात की. हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी इस्तीफा देंगे या नहीं, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता.
आपको ये बता दें कि सरकार ने 17 दिसंबर को ही दो वरिष्ठ अधिकारियों के नजरअंदाज लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत को नए सेना प्रमुख बनाने का ऐलान किया. लेफ्टिनेंट जनरल रावत से एक साल वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी हैं और लेफ्टिनेंट जनरल रावत से छह महीने वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज हैं, लेकिन इन दोनों की वरिष्ठता की अनदेखी कर सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत को मौजूदा सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह का उत्तराधिकारी घोषित किया है.
सेना में कुछ एक मौकों को छोड़ दिया जाए तो अब तक परंपरा रही है कि वरिष्ठ अधिकारी को ही सेना प्रमुख बनाया जाता है, लेकिन सरकार ने इस बार इसके बदले मेरिट को तरजीह दी है.
जानकारों का कहना है कि अब लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी के पास अब सीमित विकल्प ही बचते हैं. अब जबकि रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने साफ कर दिया है कि न तो लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी को चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ बनाया जा रहा है और ना ही परमानेंट चेयरमेन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी बनाया जा रहा है, ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल के पास दो ही विक्ल्प बचते है या तो अपने जूनियर के नीच काम करें या फिर अपने पद से इस्तीफा दे दें. सेना में अब तक ये परंपरा रही है ऐसे हालात में सीनियर अपने जूनियर के अधीन काम करना पसंद नहीं करते हैं और वे अपना इस्तीफा सरकार को सौंप देते हैं.
अब देखना ये होगा क्या जब लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी रक्षामंत्री से मिलेंगे तो अपना इस्तीफा सौपेंगे.
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