नई दिल्ली:
दिल्ली में श्री श्री रविशंकर के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के पास वह सांस्कृतिक विरासत है जिसकी तलाश दुनिया को है। भारत कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। भारत के पास विश्व को देने के लिए क्या कुछ नहीं है। दुनिया केवल आर्थिक मुद्दों पर जुड़ नहीं सकती।
मोदी ने कहा कि हम दुनिया की उन आवश्यकताओं को किसी न किसी रूप में पूरा करते रहेंगे। हमें अपनी संस्कृति पर अभिमान होना चाहिए लेकिन अगर हम अपनी ही परंपरा और संस्कृति की बुराई करते रहेंगे तो बाकी क्या करेंगे। खुद को कोसते रहने का मतलब नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस पर जोर दिया कि आज की दुनिया को एक करने में 'सॉफ्ट पॉवर' की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उन्होंने जोर दिया कि भारत इसमें अपनी भूमिका बेहतर तरीके से तभी निभा सकेगा जब देशवासी अपने ही देश की आलोचना से बचेंगे।
प्रधानमंत्री ने यमुना खादर क्षेत्र में आयोजित श्री श्री रविशंकर के ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के विश्व संस्कृति कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, "जब हम जीवन में समस्याओं से जूझते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है। हम किसी एक मुद्दे को लेकर अपने आप से बाहर निकल कर एकजुट होते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है।"
उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, "जब कभी सत्ता प्रतिष्ठान वांछित नतीजे नहीं हासिल कर पाते हैं, तब साफ्ट पावर की प्रासंगिकता सामने आती है।"
अपनी महान विरासत पर गर्व करें
उत्सव में शामिल लाखों लोगों को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया को मानवीय मूल्यों से भी जोड़ें। अपनी महान विरासत पर गर्व करें। भारत के पास ऐसी समृद्धि थी कि यहां कला पूर्णतया विकसित हुई। उन्होंने कहा कि यह धरती ऐसी है जहां हर पहर का संगीत अलग है। सुबह का संगीत अलग है तो शाम का अलग है। बाजार में अगर संगीत की दुनिया को खोजने जाएंगे, तो तन को डुलाने वाला संगीत तो बाजार में भरा पड़ा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत तो भारत में है। दुनिया मन को डुलाने वाला संगीत अब चाहती है।
'मैं' से 'हम' की तरफ जाना आर्ट ऑफ लिविंग
उन्होंने कहा कि यह कला का महाकुंभ है। जब इरादों को लेकर चलते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। मैं से टूटकर हम की ओर जाना आर्ट ऑफ लिविंग है।
मोदी ने कहा कि हम दुनिया की उन आवश्यकताओं को किसी न किसी रूप में पूरा करते रहेंगे। हमें अपनी संस्कृति पर अभिमान होना चाहिए लेकिन अगर हम अपनी ही परंपरा और संस्कृति की बुराई करते रहेंगे तो बाकी क्या करेंगे। खुद को कोसते रहने का मतलब नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इस पर जोर दिया कि आज की दुनिया को एक करने में 'सॉफ्ट पॉवर' की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उन्होंने जोर दिया कि भारत इसमें अपनी भूमिका बेहतर तरीके से तभी निभा सकेगा जब देशवासी अपने ही देश की आलोचना से बचेंगे।
प्रधानमंत्री ने यमुना खादर क्षेत्र में आयोजित श्री श्री रविशंकर के ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के विश्व संस्कृति कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, "जब हम जीवन में समस्याओं से जूझते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है। हम किसी एक मुद्दे को लेकर अपने आप से बाहर निकल कर एकजुट होते हैं तो हमें आर्ट ऑफ लिविंग की जरूरत पड़ती है।"
उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, "जब कभी सत्ता प्रतिष्ठान वांछित नतीजे नहीं हासिल कर पाते हैं, तब साफ्ट पावर की प्रासंगिकता सामने आती है।"
अपनी महान विरासत पर गर्व करें
उत्सव में शामिल लाखों लोगों को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया को मानवीय मूल्यों से भी जोड़ें। अपनी महान विरासत पर गर्व करें। भारत के पास ऐसी समृद्धि थी कि यहां कला पूर्णतया विकसित हुई। उन्होंने कहा कि यह धरती ऐसी है जहां हर पहर का संगीत अलग है। सुबह का संगीत अलग है तो शाम का अलग है। बाजार में अगर संगीत की दुनिया को खोजने जाएंगे, तो तन को डुलाने वाला संगीत तो बाजार में भरा पड़ा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत तो भारत में है। दुनिया मन को डुलाने वाला संगीत अब चाहती है।
'मैं' से 'हम' की तरफ जाना आर्ट ऑफ लिविंग
उन्होंने कहा कि यह कला का महाकुंभ है। जब इरादों को लेकर चलते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। मैं से टूटकर हम की ओर जाना आर्ट ऑफ लिविंग है।
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