नई दिल्ली:
सरकार ने लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित हुई संयुक्त समिति की बैठकों के ऑडियो टेप जारी कर दिए। इन टेप के जरिये सामाजिक कार्यकर्ताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच प्रस्तावित भ्रष्टाचार निरोधी कानून के दायरे में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को रखने जैसे विभिन्न प्रावधानों को लेकर तीखे मतभेद रहने की बात जाहिर होती है। अप्रैल में अन्ना हज़ारे के अनशन के बाद गठित हुई मसौदा समिति की बैठकों की ऑडियो रिकॉर्डिन्ग के नौ टेप में हज़ारे पक्ष के कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने की पुरजोर तरीके से मांग करते और केंद्रीय मंत्रियों को ऐसे किसी प्रावधान का कड़ा विरोध करते सुना जा सकता है। ये टेप आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल को एक सीडी के जरिये मुहैया कराये गये हैं। बातचीत के एक अंश में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को यह कहते सुना जा सकता है कि किसी मामले में प्रधानमंत्री के दोषी होने की बात जांच पूरी होने के बाद ही साबित हो पाएगी लेकिन जांच के दौरान उनके अंतरराष्ट्रीय रुतबे और जनता की नजर में उनके ओहदे के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को अपना कार्यकाल पूरा करने दिया जाए और उनके खिलाफ कोई भी जांच या अभियोजन उनके पदमुक्त होने के बाद ही हो।
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