
लोकसभा में ‘केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) विधेयक-2019' पर चर्चा का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जब एक सदस्य को अपनी बात रखने का मौका दिया, तब अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा कि ‘मंत्री जी आज्ञा देने का काम मेरा है, आपका नहीं है.' दरअसल, निशंक जब विधेयक पर चर्चा का जवाब दे रहे थे तब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले उनसे कुछ कहने के लिए खड़ी हुईं तो मंत्री यह कहते हुए बैठ गए कि ‘आप कुछ कहना चाहती हैं, कहिए.'
सुप्रिया के बात रखने के बाद बिरला ने कहा कि ‘मंत्री जी, आज्ञा देने का काम मेरा है, आपका नहीं है.' बिरला के इस कथन के बाद सदन में ठहाके सुने गए. विधेयक पारित होने के बाद उन्होंने शून्य काल शुरू करने का निर्देश दिया. उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि आगे से शून्यकाल में बोलने के लिए अपने विषय आदि को लेकर आसन के पास नहीं आए, बल्कि महासचिव वाली मेज पर अधिकारियों को दें और इस तरह से उनका संदेश आसन तक पहुंच जाएगा.
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इसके बाद भी एक सदस्य आसन के निकट पहुंच गए और इस पर अन्य सदस्यों को हंसते हुए देखा गया. बिरला ने यह भी कहा कि यह परंपरा वर्षों से रही है, इसे जाने में समय लगेगा.
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बता दें, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को हालही सदन में विभिन्न सदस्यों की वाहवाही मिली थी, जिन्होंने लगातार साढ़े तीन घंटे आसन पर बैठकर कार्यवाही संचालित करने और नये सदस्यों समेत अधिक से अधिक लोगों को बोलने का मौका देने के लिए स्पीकर की प्रशंसा की. सदन में शून्यकाल के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि स्पीकर भूख भी भूल गये हैं और लगातार सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘यह इस बात का उदाहरण है कि स्पीकर को किस तरह काम करना चाहिए.'
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साथ ही सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के गणेश सिंह और राजेंद्र अग्रवाल समेत अन्य सदस्यों ने भी अध्यक्ष बिरला की प्रशंसा करते हुए कहा था कि उन्होंने आज कई नये सदस्यों को शून्यकाल में बोलने का अवसर दिया है और नयी परंपरा शुरू की है. लोकसभा अध्यक्ष आज सुबह 11 बजे प्रश्नकाल शुरू होने से लेकर लगातार लगभग साढ़े तीन घंटे तक आसन पर बैठकर कार्यवाही संचालित करते रहे. उन्होंने शून्यकाल में बड़ी संख्या में सदस्यों को लोकहित के मुद्दे उठाने का अवसर दिया था.
(इनपुट- भाषा)
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