बिहार का लोहट चीनी मिल 1997 से बंद है. ये 1914 में चालू हुआ था. आज़ादी से पहले बिहार में 33 चीनी मिल थे. आज़ादी के बाद 28 बचे रह गए. उनमें 17 बंद पड़े हैं. लोहट उन्हीं में से एक है. यहां के कई कर्मचारी आज भी मिल के कलपुर्जों की ‘ओगरवाही' यानि रखवाली कर रहे हैं. कई तो सेवानिवृत हो चुके हैं फिर भी रखवाली में ड्यूटी दे रहे हैं. इनको बीजेपी और जेडीयू नेताओं की तरफ़ से आश्वासन दिया गया था कि इसे चालू करेंगे. लेकिन नीतीश के पंद्रह साल के शासन के बाद भी ये चालू नहीं हुआ. केन्द्र में बीजेपी की सरकार के रहते हुए भी.
यहां के कर्मचारी यूं तो लालू यादव और उनकी पार्टी से भी नाराज़ हैं क्योंकि उन्हीं के शासनकाल में ये मिल बंद हुआ. लेकिन कर्मचारियों को उम्मीद है कि अब लालू और उनके बेटे को इसकी महत्ता समझ आ गई होगी. इसलिए तेजस्वी यादव के लिए यहां के कर्मचारियों का संदेश है कि अगर वे वाकई 10 लाख रोज़गार देने की बात कर रहे हैं तो उन्हें इस मिल को चालू करना होगा. या यहां की ज़मीन का इस्तेमाल कारखाना लगाने के लिए करना होगा.
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