
कोरोना से जंग के दौर में हद से बढ़कर ड्यूटी करते और इंसानियत की मिसाल कायम करते पुलिस वालों की कई दिलखुश तस्वीरें सामने आई हैं. जामिया नगर के जोगाबाई एक्सटेंशन में सना परवीन नाम की एक गर्भवती महिला के लिए एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश ऐसे ही एक फ़रिश्ता बनकर सामने आए. दिल्ली के बटला हाउस इलाके के जोगाबाई एक्सटेंशन में रहनेवाली 24 साल की सना परवीन लिए लॉकडाउन के दौरान अपने डॉक्टर से मिलना बेहद मुश्किल हो रहा था. 9वें महीने में डिलिवरी के दिन, 13 अप्रैल को, सना अचानक प्रसव पीड़ा से छटपटा उठीं. सना के शौहर मोहम्मद आमिल ने आख़िरकार इलाके के एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश को व्हाट्सएप के ज़रिये संदेश भेजा. और उस सन्देश को देखते हुए कुमार ज्ञानेश ने मानवता दिखाते हुए तत्काल न केवल पुलिस जिप्सी का प्रबंध किया बल्कि मदद के तौर पर रक़म भी भेजी. सना ने 13 अप्रैल को एक लड़के को जन्म दिया जिसका नाम उसने मोहम्मद आबान रखा है! सना के पति मोहम्मद आमिल जो पेशे से एक प्लंबर का काम करते हैं, डीसीपी ज्ञानेश की तारीफ़ करते नहीं थक रहे.

बड़ी बात ये भी है कि सना इस साल खुद भी संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी का इम्तिहान दे रही हैं. अब वो चाहती हैं कि उनका बेटा बड़ा होकर कुमार ज्ञानेश की तरह ही एक संजीदा आईपीएस अफ़सर बने.
एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि लॉकडाउन में कर्फ्यू पास के अलावा मूवमेंट पास के लिए बहुत सारे सन्देश आ रहे थे और इसी सन्देश में 28 मार्च को एक सन्देश मोहम्मद आमिल का भी था जिसने उसने अपनी गर्भवती पत्नी को हॉस्पिटल दिखाने के लिए पास के लिए लिखा था. अपने सन्देश में पत्नी की तबियत ख़राब होने का ज़िक्र करते हुए आमिल ने डीसीपी ऑफिस न आ पाने का दुखड़ा भी लिखा था. कुमार ज्ञानेश आगे कहते हैं कि हालात को देखते हुए तत्काल पास का प्रबंध करते हुए आमिल के घर भेजा गया, जिससे वो अपनी पत्नी को दरियागंज स्थित कस्तुरबा गांधी अस्पताल दिखाने जा सके. कुमार ज्ञानेश कहते हैं कि उसकी पत्नी की फ़िक्र थी मुझे. लेकिन 13 अप्रैल को अचानक आमिल का सन्देश फिर आया जिसमे उसने लिखा था गर्भवती पत्नी की तबियत बहुत ख़राब हो गयी है, तत्काल अगर अस्पताल न पहुंचने पर दुर्घटना होने की आशंका जताई, गंभीरता को देखते हुए तत्काल जामिया नगर थाने से जिप्सी भेजी गई, जिससे वो अस्पताल वखत से पहुंच गए और उनकी पत्नी ने पुत्र को जनम दिया.

मोहम्मद आमिल ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 13 अप्रैल को जब दिल्ली हेल्प लाइन नंबर के साथ 100, 102, 112 पर किया, उसके पास 112 नंबर पर काल करने के बाद सहायता के लिए वैन तो आयी लेकिन उसने दरियागंज स्थित कस्तूरबा अस्पताल ले जाने से मना कर दिया. उनके ड्राइवर का कहना था की दरियागंज उनका ये रूट नहीं है. काफी परेशान होने के बाद एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश को व्हाट्सऐप पर मदद के लिए सन्देश भेजा. सन्देश देखते ही कुमार ज्ञानेश ने व्हाट्सऐप कॉल करते हुए हौसला दिलाया कि आप परेशान न हों, आपकी मदद के लिए जिप्सी जल्दी ही पहुंचेगी. पलक झपकते ही पुलिस जिप्सी घर के दरवाज़े पर खड़ी थी जिसको देखकर आमिल को रहत मिली और वो जिप्सी में बैठ कर अस्पताल पहुंच गए. वहां उनकी पत्नी को तत्काल एडमिट किया गया और शाम 6 बजे उनको बेटे की आमद की खुशखबरी मिली. खुशखबरी मिलते ही सबसे पहले उन्होंने खुदा का शुक्र अदा किया और एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेश की लम्बी ज़िन्दगी की दुआ की और फ़ोन लगाते हुए ये खुशखबरी साझा की. उनका कहना है कि पुलिस की जिप्सी ने शुरू में अस्पताल पहुंचाया ही नहीं बल्कि बेटे के जन्म के बाद अस्पताल से घर भी पहुंचाने का इंतज़ाम किया.
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