बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर करीब 40 साल पहले हुए एक विस्फोट में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा और दो अन्य की हत्या के दोषी चार लोगों को आज दिल्ली की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
जिला जज विनोद गोयल ने रंजन द्विवेदी, संतोषानंद, सुदेवानंद और गोपालजी को सजा सुनाई, जिन्हें आईपीसी की धारा 302, 326, 324 और 120-बी समेत कई प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था।
न्यायाधीश ने खचाखच भरे अदालत कक्ष में कहा, 'मैं रंजन द्विवेदी, संतोषानंद, सुदेवानंद और गोपालजी को उम्रकैद की सजा सुनाता हूं।'
अदालत ने सजा के अतिरिक्त 75 वर्षीय संतोषानंद और 79 वर्षीय सुदेवानंद पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, वहीं 66 वर्षीय द्विवेदी तथा 73 वर्षीय गोपालजी पर 20-20 हजार रपये का जुर्माना लगाया।
अदालत ने अपने फैसले में बिहार सरकार को निर्देश दिया कि मिश्रा और दो अन्य मृतकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
अदालत ने बिहार सरकार से घटना में गंभीर रूप से घायल हुए सात लोगों के परिजनों को 1.5-1.5 लाख रुपये और मामूली रूप से चोटिल हुए 20 अन्य के परिवारों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश भी दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि मुआवजा राज्य सरकार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से देगी। चारों दोषियों को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत हैंड ग्रेनेड रखने का गुनाहगार भी ठहराया गया।
मामले में सजा पर दलीलों को सुनते हुए सीबीआई ने यह अदालत के विवेक पर छोड़ा कि दोषियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए या नहीं।
अदालत ने आठ दिसंबर को द्विवेदी और अन्य तीन आनंदमार्गियों को दो जनवरी, 1975 में समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर विस्फोट में मिश्रा और दो अन्य लोगों की जान लेने की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का दोषी ठहराया था।
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