लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दिवंगत नेता रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को LJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया तो उन्होंने बगावत करने वाले अपने चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) समेत पांचों सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पटना स्थित पार्टी कार्यालय में चिराग समर्थकों ने पांचों सांसदों के पोस्टरों पर कालिख पोत कर गुस्सा निकाला. चिराग ने अब से कुछ देर पहले पशुपति कुमार पारस को मार्च महीने में लिखा 6 पन्नों का खत सार्वजनिक किया है.
चिराग पासवान ट्विटर पर यह खत शेयर करते हुए लिखते हैं, 'पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ. एक पुराना पत्र साझा करता हूँ.'
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) June 15, 2021
29 मार्च, 2021 को लिखे इस पत्र में चिराग पासवान ने पशुपति कुमार पारस की नाराजगी का जिक्र किया है. चिराग लिखते हैं कि इस पत्र को लिखने से पहले वह अपने चाचा से बात करना चाहते थे लेकिन उनकी ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिला. प्रिंस को प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान देने के फैसले का पारस ने विरोध किया और नाराज हो गए.
चिराग पासवान ने लिखा कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के फैसले पर भी उनके चाचा ने नाराजगी जताई थी. नई जिम्मेदारी मिलने के बाद चिराग ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' यात्रा निकाली. पशुपति पारस ने इस यात्रा से भी दूरी बनाए रखी. चिराग ने पत्र में लिखा कि चाचा को केंद्र में किसी आयोग में जगह मिल सके, इसके लिए रामविलास पासवान ने कई बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की थी.
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