लैंगिक समानता की पहल में स्कूली छात्राओं के पत्र

नई दिल्ली : ‘मेरे पास एक संदेश है। मैं चाहती हूं कि मेरी बात सुनी जाए। मैं थोड़ी चिंतित हूं। जब मैं मौजूदा विश्व को देखती हूं तो बहुत दुखी और चिंतित हो जाती हूं।’

विश्व के नागरिकों के नाम यह पत्र लिखने वाली 15 वर्षीय जाह्नवी नागपाल दरअसल भारत, चीन, मेक्सिको, अबु धाबी और ब्रिटेन की उन लड़कियों में से एक हैं, जिन्होंने कुल 200 पत्रों के जरिए एक युवा लड़की होने के नाते अपनी चिंताएं, डर, उम्मीदें और महत्वाकांक्षाएं जाहिर की हैं।

विश्वभर की युवा लड़कियों की इन भावनाओं को समकालीन कलाकृतियों और लड़कियों द्वारा लिखे गए पत्रों की प्रदर्शनी के जरिए उजागर किया जा रहा है। क्रिएटिव सर्विसेज सपोर्ट ग्रुप नामक कल्याणार्थ संगठन द्वारा आयोजित इस पहल का उद्देश्य युवा महिलाओं को आत्मावलोकन, चिंतन करने के साथ-साथ लैंगिक समाज से परे खास विचार पैदा करने में मदद करना है। लड़कियों को अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में पत्र लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

लैंगिक समानता की इस पहल के साथ, यह संगठन लड़कियों को मदद करता है ताकि वे बाहर मौजूद पेशों को और महिलाओं की क्षमताओं को कुंद करने के लिए उन्हें दी जाने वाली पूर्वाग्रह ग्रसित भूमिकाओं को देख सकें और अपनी सोच विस्तृत कर सकें।

एलिजाबेथ रोजर्स के साथ इस प्रदर्शनी का संयोजन करने वाले आनंद कपूर ने बताया, ‘इस पहल के जरिए हम 14-18 साल की उम्र की लड़कियों को आवाज देना चाहते हैं, खासतौर पर उन लड़कियों को, जिन्हें कभी भी खुद को अभिव्यक्त करने का मौका नहीं मिला। हम उनकी मदद करना चाहते हैं ताकि वे अपनी सोच को विस्तार दे सकें और लैंगिकता के बारे में एक मजबूत व गैर-राजनीतिक विचार विकसित कर सकें।’


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