प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
पठानकोट हमले को लेकर केंद्र सरकार को काफ़ी आलोचना झेलनी पड़ी है। शायद यही वजह रही होगी कि नॉर्थ ब्लाक यानी गृह मंत्रालय में शुक्रवार को जो देश भर की "अहम बिल्डिंग्स" का जो "सिक्यरिटी ऑडिट" हुआ उसमें ये चर्चा ख़ास तौर पर हुई कि मीडिया को लेकर एक नई स्ट्रैटेजी की ज़रूरत है।
इस बैठक में ये भी तय किया गया कि अगर पठानकोट जैसे हमले आगे हुए तो कोई "अधिकृत व्यक्ति" ही मीडिया को जानकारी देगा वो भी वहां-जहां कार्रवाई हो रही होगी।
पठानकोट हमले में सरकार की ओर से दिल्ली में पहले मीडिया ब्रीफ़िंग हुई थी जिसमें गृह सचिव ने मीडिया को जानकारी दी थी। उसमें एक सवाल पर उन्होंने जवाब दिया था कि इतने बड़े हमले में कुछ जानें तो जाती ही हैं। गृह सचिव के इस बयान को लेकर भी उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी।
बहरहाल केंद्र सरकार ने अब तय किया है कि अधिकृत अफ़सरों को मीडिया से कैसे बातचीत करनी है उसके बारे में ट्रेनिंग भी दी जाएगी। पठानकोट में सबसे ज़्यादा किरकरी प्रधानमंत्री कार्यालय की हुई। ख़ासकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की क्योंकि वे पूरे ऑपरेशन को सूपरवाइज कर रहे थे। NSG को एयरबेस भेजने का निर्णय भी उनका था। इस फ़ैसले को लेकर फ़ौज के सीनियर अधिकारी ख़ुश नहीं थे। कई फ़ौजियों ने इस बारे में तीखे लेख भी लिखे हैं।
वैसे आलोचना केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की भी ख़ूब हुई। उन्होंने ऑपरेशन ख़त्म होने की ख़बर ट्वीट कर दी और कहा, सभी आतंकवादी मारे गए। लेकिन जब ग़लत साबित हुए तो अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
वैसे इस सिक्यूरिटी ऑडिट मीटिंग में ये तय हुआ कि सभी अहम बिल्डिंग्ज़ की सुरक्षा का रिव्यू जल्द से जल्द किया जाएगा। ख़ास चिंता न्यूक्लीअर इन्स्टालेशेंस को लेकर जताई गई। मीटिंग में गृहमंत्री, रक्षामंत्री, दोनो मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और कई आला अधिकारी थे।
इस बैठक में ये भी तय किया गया कि अगर पठानकोट जैसे हमले आगे हुए तो कोई "अधिकृत व्यक्ति" ही मीडिया को जानकारी देगा वो भी वहां-जहां कार्रवाई हो रही होगी।
पठानकोट हमले में सरकार की ओर से दिल्ली में पहले मीडिया ब्रीफ़िंग हुई थी जिसमें गृह सचिव ने मीडिया को जानकारी दी थी। उसमें एक सवाल पर उन्होंने जवाब दिया था कि इतने बड़े हमले में कुछ जानें तो जाती ही हैं। गृह सचिव के इस बयान को लेकर भी उनकी काफ़ी आलोचना हुई थी।
बहरहाल केंद्र सरकार ने अब तय किया है कि अधिकृत अफ़सरों को मीडिया से कैसे बातचीत करनी है उसके बारे में ट्रेनिंग भी दी जाएगी। पठानकोट में सबसे ज़्यादा किरकरी प्रधानमंत्री कार्यालय की हुई। ख़ासकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की क्योंकि वे पूरे ऑपरेशन को सूपरवाइज कर रहे थे। NSG को एयरबेस भेजने का निर्णय भी उनका था। इस फ़ैसले को लेकर फ़ौज के सीनियर अधिकारी ख़ुश नहीं थे। कई फ़ौजियों ने इस बारे में तीखे लेख भी लिखे हैं।
वैसे आलोचना केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की भी ख़ूब हुई। उन्होंने ऑपरेशन ख़त्म होने की ख़बर ट्वीट कर दी और कहा, सभी आतंकवादी मारे गए। लेकिन जब ग़लत साबित हुए तो अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
वैसे इस सिक्यूरिटी ऑडिट मीटिंग में ये तय हुआ कि सभी अहम बिल्डिंग्ज़ की सुरक्षा का रिव्यू जल्द से जल्द किया जाएगा। ख़ास चिंता न्यूक्लीअर इन्स्टालेशेंस को लेकर जताई गई। मीटिंग में गृहमंत्री, रक्षामंत्री, दोनो मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और कई आला अधिकारी थे।
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