बेंगलुरु में धरने पर बैठे वकील, बोले- जजों की नियुक्तियां जल्द नहीं हुईं तो करेंगे हड़ताल

बेंगलुरु एडवोकेट एसोसिएशन कर्नाटक हाईकोर्ट में जजों की खाली सीटों पर भर्ती नहीं होने की वजह से एक हफ्ते के लिए धरने पर बैठ गए हैं.

बेंगलुरु में धरने पर बैठे वकील, बोले- जजों की नियुक्तियां जल्द नहीं हुईं तो करेंगे हड़ताल

बेंगलुरु में धरने पर बैठे वकील

खास बातें

  • बेंगलुरु में धरने पर बैठे वकील
  • उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्तियां जल्द नहीं हुईं तो हड़ताल करेंगे
  • कर्नाटक हाईकोर्ट के गोल्डन जुबली गेट के बाहर धरने पर बैठे हैं वकील
बेंगलुरू:

बेंगलुरु एडवोकेट एसोसिएशन कर्नाटक हाईकोर्ट में जजों की खाली सीटों पर भर्ती नहीं होने की वजह से सोमवार से एक हफ्ते के लिए धरने पर बैठ गए हैं. ये वकील कर्नाटक हाईकोर्ट के गोल्डन जुबली गेट के बाहर धरने पर बैठे हैं. कर्नाटक में जजों के लिए 62 Sanctioned पोस्ट हैं, लेकिन ज्यादातर खाली हैं. सिर्फ 24 जज फिलहाल काम कर रहे हैं, वो भी तीन हिस्सों में. बेंगलुरु के प्रिंसिपल बेंच पर 16 जज धाड़वाद और कलबुर्गी बेंचेस पर 8 जज हैं. ऐसे में पेंडिंग फाइल्स की संख्या लगातार बढ़ रही है और फिलहाल 3 लाख 20 हज़ार फ़ाइल पेंडिंग है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीयश वीपी गौड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कलीजिम या फिर न्याय विभाग जहां भी नियुक्तियों से जुड़ी फ़ाइलें रुकी हैं उसे फौरन आगे बढ़ाया जाय, ताकि नियुक्तियां हो सके. उन्होंने कहा कि अभी ही लगभग 10 साल का बैकलॉग है और इसमें देरी करने से यह और बढ़ेगा.

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एडवोकेट एसोसिएशन की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "ज़मानत, अग्रिम जमानत विचाराधीन कैदियों से जुड़े मामले सही समय पर विचार के लिए सामने नही लाए जा रहे हैं. लिटिगेशन तो वर्षों से कोर्ट नहीं पहुंचे हैं"स बेंगलुरु के एडवोकेट संघ के अध्यक्ष ए पी रंगनाथ ने कहा, "सम्बन्धित संस्थानों को हम एक हफ्ते का वक़्त दे रहे हैं, अगर खाली जगहों को नहीं भरा गया तो हम कर्नाटक के सभी अदालतों में एक दिन की हड़ताल करेंगे और फिर संसद भवन के सामने धरना देंगे."

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पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने मंगलवार को धरने पर बैठे वकीलों से मुलाक़ात की और आश्वासन दिलाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में अपॉइंटमेंट मांगा है. उनसे मुलाकात के दौरान वो इस मुद्दे पर बात करेंगे. धरने पर बैठे वकीलों का कहना है कि बात सिर्फ कर्नाटक हाइकोर्ट का नहीं है, बल्कि देशभर के सभी हाईकोर्ट्स में तक़रीबन 600 जजों के पद खाली हैं और सुप्रीम कोर्ट में लगभग 6 पद एक साल से खाली हैं.


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