सुप्रीम कोर्ट में निर्वाचन आयोग (Election commission) का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने आयोग के वकीलों के पैनल से इस्तीफा देते हुए कहा कि उनके मूल्य चुनाव आयोग के मौजूदा कामकाज के अनुरूप नहीं हैं. वकील मोहित डी राम 2013 सुप्रीम कोर्ट में आयोग के लिए अधिवक्ता के तौर पर काम कर रहे थे. उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में कहा, ‘‘मैंने पाया कि मेरे मूल्य निर्वाचन आयोग के मौजूदा कामकाज के अनुरूप नहीं हैं और इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसके पैनल के अधिवक्ता की जिम्मेदारियों से अपने आप को मुक्त करता हूं.'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने कार्यालयों में सभी लंबित मामलों में फाइलों, एनओसी और ‘वकालतनामाओं' का सुचारू हस्तांतरण करता हूं.''
मोहित डी राम का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) की टिप्पणियों के खिलाफ चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें मद्रास हाईकोर्ट की "बिना सोचे-समझे, अपमानजनक टिप्पणी" को हटाने की मांग की गई थी. चुनाव आयोग ने कहा था कि हाईकोर्ट खुद एक संवैधानिक संस्था है जबकि चुनाव आयोग भी संवैधानिक संस्था है. इसलिए हाईकोर्ट को ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी. दरअसल HC ने कहा था कि ECI पर "शायद हत्या का मामला चलाया जाना चाहिए" क्योंकि राजनीतिक दलों ने रैलियों में COVID प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दीं थी.
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