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This Article is From Sep 11, 2013

दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता का अंतिम बयान : 'दोषियों को जिंदा जला दें'

दिल्ली गैंगरेप की पीड़िता का अंतिम बयान : 'दोषियों को जिंदा जला दें'
दिल्ली गैंगरेप को लेकर पूरे देश में आक्रोश की लहर फैल गई थी
राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई 23-वर्षीय युवती ने घटना के पांच दिनों बाद सफदरजंग अस्पताल में ही विवेक विहार की एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज कराया था।
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष 16 दिसंबर की रात चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई 23-वर्षीय युवती ने घटना के पांच दिनों बाद सफदरजंग अस्पताल में ही विवेक विहार की अनुमंडलीय दंडाधिकारी (एसडीएम) उषा चतुर्वेदी के समक्ष बयान दर्ज कराया था।

हिन्दी में दर्ज कराए गए चार पृष्ठों के बयान में पीड़िता ने अपने साथ हुए क्रूर, जघन्य कृत्यों की वह कथा सुनाई थी, जिसकी भयानकता को शब्द दे पाना कठिन है।

यह बयान पुलिस द्वारा न्यायालय में दायर 1,000 पृष्ठों के आरोपपत्र का हिस्सा है। आरोपपत्र में पीड़िता के हाथ का लिखा एक बयान भी है, जो बमुश्किल 20 शब्दों का है और उसे उसने अर्द्धचेतन अवस्था में लिखा था।

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को इस जघन्य घटना के चार आरोपियों को दोषी ठहराया है। बहरहाल, पीड़िता के बयान के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :

"मैं घटना वाले दिन अपने दोस्त के साथ सेलेक्ट सिटी मॉल, साकेत में 'लाइफ ऑफ पई' पिक्चर (शाम 6.40 से 8.30) देखकर लौट रही थी। वहां से ऑटो रिक्शा लेकर हम मुनिरका पहुंचे। इसके बाद मुझे सफेद रंग की बस मिली, जिसका कंडक्टर पालम मोड़ और द्वारका की सवारी के लिए आवाज दे रहा था। मुझे द्वारका सेक्टर-एक जाना था, इसलिए मैं और मेरा दोस्त दोनों उसमें चढ़ गए और 10 रुपये प्रति सवारी के हिसाब से 20 रुपये दिए।"

"जब मैं अंदर गई तो वहां 6-7 लोग बैठे हुए थे। इन लोगों को सवारी समझ कर हम बस में केबिन के बाहर बैठ गए। बस सफेद रंग की थी और सीटें लाल थीं। पीले रंग के पर्दे लगे हुए थे। बस के शीशे काले थे और बंद थे। मैं अंदर से बाहर देख सकती थी लेकिन बाहर से अंदर नहीं देखा जा सकता था। बस में एक पंक्ति में दो और दूसरी तरफ पंक्ति में तीन सीटें थीं।"

"बस के अंदर घुसने के बाद वहां बैठे हुए लोगों को देखकर कुछ शंका हुई थी, लेकिन कंडक्टर पैसे ले चुका था और बस चलने लग गई थी इसलिए मैं बैठी रही।

"पांच मिनट बाद कंडक्टर ने बस के दरवाजे बंद कर दिए और अंदर की बत्तियां बुझा दीं। वे मेरे दोस्त के पास आकर गालियां देने लगे और उसे मारने लगे। उसे 3-4 ने पकड़ लिया और मुझे बाकी लोग बस के पीछे ले गए और मेरे कपड़े फाड़ दिए। उन्होंने बारी-बारी से दुष्कर्म किया।

"लोहे की रॉड से मुझे मेरे पेट पर मारा और पूरे शरीर पर दांतों से काटा। इससे पहले मेरे दोस्त का सामान-मोबाइल फोन, पर्स, क्रेडिट कार्ड, डेबिड कार्ड, घड़ियां आदि छीन लिए।

"बस में टोटल छह लोग थे, जिन्होंने बारी-बारी से दुष्कर्म किया। इन लोगों ने लोहे की रॉड मेरे शरीर में घुसा दी और फिर बाहर निकाल लिया। छह लोगों ने बारी-बारी से मेरे साथ करीब एक घंटे तक दुष्कर्म किया। चलती हुई बस में ड्राइवर बदलता रहा ताकि वह भी दुष्कर्म कर सके।

"पूरे घटनाक्रम में मैंने सुना कि वे राम सिंह, ठाकुर, राजू, मुकेश, पवन, विनय आदि नाम ले रहे थे। रात का समय और अंधेरा होने की वजह से सारे काले ही दिख रहे थे। बोल-चाल की भाषा और उनके रूप-रंग से वे अनपढ़ और ड्राइवर-क्लीनर टाइप प्रतीत हो रहे थे।

"आधे टाइम होश था और उसके बाद बेहोश हो जाती थी तो वे लोग लात और घूसों से मारने लगते थे। जब मेरा दोस्त मुझे बचाने की कोशिश करता तो वे लोग उसे मारकर रोक लेते थे। उसे भी लोहे की रॉड से पीटा और सिर पर भी मारा इससे वह भी अर्द्ध-बेहोशी की हालत में था।

"मेरे दोस्त के भी सारे कपड़े उतार लिए थे और हम दोनों को मरा हुआ समझ कर चलती हुई बस से सड़क पर फेंक दिया। हम दोनों नग्न अवस्था में सड़क किनारे पड़े हुए थे। किसी गुजरने वाले व्यक्ति ने देखा और पीसीआर को इनफार्म कर दिया।"

दंडाधिकारी ने जब पूछा कि इन सभी को क्या सजा मिलनी चाहिए, तो पीड़िता ने कहा, "उन सभी को फांसी की सजा होनी चाहिए, जिससे ये अपराधी लोग किसी और लड़की के साथ ऐसा अनाचार और अत्याचार भरा कृत्य न कर सके। साथ ही इस तरह के अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को सबक मिल सके। बाद में उसने कहा, "उन सभी को जिंदा जला देना चाहिए।"

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