आधार से लिंक होंगे जमीन के रिकॉर्ड, हर प्लॉट को यूनीक आईडी मिलने से रुकेगी धोखाधड़ी

विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number) के जरिये आधार संख्या को भूमि अभिलेख के साथ जोड़ा जाएगा. इसमें हर भूखंड के लिए 14 अंकों की विशिष्ट पहचान (ID) होगी.

आधार से लिंक होंगे जमीन के रिकॉर्ड, हर प्लॉट को यूनीक आईडी मिलने से रुकेगी धोखाधड़ी

Aadhar को Land Record से जोड़े जाने की मुहिम तेज

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार भूमि से जुड़े विवादों और धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए जमीन से जुड़े रिकॉर्ड को आधार से जोड़ने की तैयारी कर रही है. इसके तहत अगले दो सालों में डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत भूलेख रिकॉर्ड और दस्तावेजों को 2023-24 तक आधार नंबर से लिंक कर दिया जाएगा. राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली के तहत विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या लागू की जाएगी ताकि भू अभिलेखों को एक जगह पर डिजिटल तरीके से संरक्षित किया जा सके. इससे भूलेख औऱ राजस्व रिकॉर्ड को व्यवस्थित बनाया जा सकेगा.

ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड प्रोग्राम (DILRMP) काफी आगे बढ़ा है. हालांकि राज्य इसके सभी मानकों को 100 प्रतिशत पूरा नहीं कर पाए हैं. इस कार्यक्रम को 21 अगस्त 2008 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी. एक अप्रैल 2016 को इसे केंद्रीय योजना के तौर पर मंजूरी मिली थी. इसका 100 फीसदी बोझ केंद्र सरकार वहन कर रही है. इस मुहिम को मार्च 2021 तक पूरा किया जाना था लेकिन अब इसे वर्ष 2023-24 तक बढ़ा दिया गया है.

संपत्ति और दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए ‘वन नेशन, वन सॉफ्टवेयर' स्कीम के तहत 10 राज्यों में शुरू किया गया था. 2021-22 तक विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) लागू की जाएगी. NGDRS सिस्टम को 10 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम और पंजाब में लागू किया गया है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number) के जरिये आधार संख्या को भूमि अभिलेख के साथ जोड़ा जाएगा. भू अभिलेख को राजस्व अदालत प्रबंधन प्रणाली से भी जोड़ने की योजना है.विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या प्रणाली में हर भूखंड के लिए 14 अंकों विशिष्ट पहचान (ID) होगी. यह आईडी वैश्विक मानकों के अनुरूप होगी. इसका मकसद भू अभिलेख को हमेशा अपडेट रखना और सभी संपत्तियों के बीच लेनदेन के बीच एक कड़ी स्थापित करना है.