प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज किसानों से मन की बात की। उन्होंने बेमौसम बारिश से बरबाद हुई फसलों का और किसानों की परेशानियों का जिक्र किया, लेकिन आज 'मन की बात' में पीएम ने अधिकतर बातें भूमि अधिग्रहण बिल पर ही केंद्रित रखीं।
बारिश से फसल बर्बाद होने के बारे में
पीएम ने कहा, इस बार बेमौसमी बरसात हो गई, ओले गिरे, एक प्रकार से महाराष्ट्र से ऊपर, सभी राज्यों में, ये मुसीबत आई और हर कोने में किसान परेशान हो गया। मैं इस संकट की घड़ी में आपके साथ हूं। सरकार के मेरे सभी विभाग राज्यों के संपर्क में रह कर स्थिति का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं, मेरे मंत्री भी निकले हैं, हर राज्य की स्थिति का जायजा लेंगे, राज्य सरकारों को भी मैंने कहा है कि केंद्र और राज्य मिल करके, इन मुसीबत में फंसे हुए सभी किसान भाइयों-बहनों को जितनी ज्यादा मदद कर सकते हैं, करें।
भूमि अधिग्रहण बिल पर पीएम
पीएम ने कहा, 2013 में बहुत आनन-फानन के साथ एक नया कानून लाया गया। हमने भी उस समय कंधे से कंधा मिलाकर के साथ दिया। लेकिन कानून लागू होने के बाद हमें लगा कि शायद इसके साथ तो हम किसान के साथ धोखा कर रहे हैं। दूसरी तरफ जब हमारी सरकार बनी, तब राज्यों की तरफ से बहुत बड़ी आवाज़ उठी। इस कानून को बदलना चाहिए, कानून में सुधार करना चाहिए, कानून में कुछ कमियां हैं...
पीएम ने कहा, हिंदुस्तान में 13 कानून ऐसे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा जमीन संपादित की जाती है, जैसे रेलवे, नेशनल हाईवे, खदान के काम। पिछली सरकार के कानून में इन 13 चीज़ों को बाहर रखा गया। बाहर रखने का मतलब ये है कि इन 13 प्रकार के कामों के लिए जो कि सबसे ज्यादा जमीन ली जाती है, उसमें किसानों को वही मुआवजा मिलेगा, जो पहले वाले कानून से मिलता था।
पीएम ने कहा, मुझे बताइए, ये कमी थी कि नहीं? ग़लती थी कि नहीं? हमने इसको ठीक किया और हमने कहा कि इन 13 में भी भले सरकार को जमीन लेने की जरूरत हो, भले रेलवे के लिए हो, भले हाईवे बनाने के लिए हो, लेकिन उसका मुआवजा भी किसान को चार गुना तक मिलना चाहिए...क्या ये किसान विरोधी है?
पीएम ने कहा, एक हवा ऐसी फैलाई गई कि मोदी ऐसा कानून ला रहे हैं कि किसानों को अब मुआवजा पूरा नहीं मिलेगा, कम मिलेगा...मैं ऐसा पाप सोच भी नहीं सकता हूं। 2013 की पिछली सरकार के समय बने कानून में जो मुआवजा तय हुआ है, उस में रत्ती भर भी फर्क नहीं किया गया है। चार गुना मुआवजा तक की बात को हमने स्वीकारा हुआ है।
पीएम ने कहा कि शहरीकरण के लिए जो भूमि का अधिग्रहण होगा, उसमें विकसित भूमि, 20 प्रतिशत उस भूमि मालिक को मिलेगी, ताकि उसको आर्थिक रूप से हमेशा लाभ मिले, ये भी हमने जारी रखा है। परिवार के युवक को नौकरी मिले...हमने एक नई चीज़ जोड़ी है... जिला के जो अधिकारी हैं, उसको घोषित करना पड़ेगा कि उसमें नौकरी किसको मिलेगी, किसमें नौकरी मिलेगी, कहां पर काम मिलेगा, ये सरकार को लिखित रूप से घोषित करना पड़ेगा।
पीएम मोदी ने कहा, यह Social Impact Assessment (SIA) के नाम पर अगर प्रक्रिया सालों तक चलती रहे, सुनवाई चलती रहे, मुझे बताइए, ऐसी स्थिति में कोई किसान अपने फैसले कर पाएगा? फसल बोनी है, तो वो सोचेगा नहीं-नहीं यार, पता नहीं, वो निर्णय आ जाएगा तो, क्या करूंगा? और उसके 2-2, 4-4, साल खराब हो जाएंगे और अफसरशाही में चीजें फंसी रहेंगी।
पीएम ने किसानों से कहा, मैं डंके की चोट पर आपको कहना चाहता हूं, नए अध्यादेश में भी, कोई भी निजी उद्योगकार को, निजी कारखाने वाले को, निजी व्यवसाय करने वाले को, जमीन अधिग्रहण करने के समय 2013 में जो कानून बना था, जितने नियम हैं, वो सारे नियम उनको लागू होंगे। यह कॉरपोरेट के लिए कानून 2013 के वैसे के वैसे लागू रहने वाले हैं। तो फिर यह झूठ क्यों फैलाया जाता है...एक भ्रम फैलाया जाता है कि आपको कानूनी हक नहीं मिलेगा, आप कोर्ट में नहीं जा सकते, ये सरासर झूठ है।
उन्होंने कहा, एक भ्रम ऐसा फैलाया जाता है कि ‘सहमति’ की जरूरत नहीं है। 2013 में जो कानून बना, उसमे भी सरकार ने जिन योजनाओं के लिए जमीन मांगी है, उसमें सहमति का कानून नहीं है और इसीलिए सहमति के नाम पर लोगों को भ्रमित किया जाता है। सरकार के लिए सहमति की बात पहले भी नही थी, आज भी नहीं है..इसीलिए मेरे किसान भाइयों-बहनों पहले बहुत अच्छा था और हमने बुरा कर दिया, ये बिल्कुल सरासर आपको गुमराह करने का दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास है। मैं आज भी कहता हूं कि निजी उद्योग के लिए, कॉरपोरेट के लिए, प्राइवेट कारखानों के लिए ये 'सहमति' का कानून चालू है।
पीएम मोदी ने कहा, भूमि अधिग्रहण बिल में कमियां थीं, उन कमियों को दूर करने के हमारे प्रामाणिक प्रयास हैं। और फिर भी मैंने संसद में कहा था की अभी भी किसी को लगता है कि कोई कमी है, तो हम उसको सुधार करने के लिए तैयार हैं।
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