चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद राजद प्रमुख लालू प्रसाद और जदयू के नेता जगदीश शर्मा की लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है।
चुनावी नियमों के अनुसार, लालू प्रसाद को 11 सालों (पांच साल जेल और रिहाई के बाद के छह साल) के लिए अयोग्य ठहराया गया है, जबकि शर्मा को 10 साल (चार साल जेल और रिहाई के बाद के छह साल) के लिए अयोग्य ठहराया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने से बचाने वाले एक प्रावधान को निरस्त कर दिया है। अदालत के उस फैसले के बाद लोकसभा सदस्यता गंवाने लालू और शर्मा पहले सांसद हैं।
इससे पहले सोमवार को कांग्रेस के सांसद रशीद मसूद को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया है जो एक भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाए जाने पर जेल भेज दिए गए है।
उच्चतम न्यायालय ने 10 जुलाई को अपने आदेश में जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा-8 की उप धारा-4 को समाप्त कर दिया था, जिसके तहत किसी विधायक या सांसद को तब तक अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता था, जब तक उच्च अदालत में उसकी अपील लंबित हो।
लोकसभा के महासचिव एसबाल शेखर ने लालू और शर्मा को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने की अधिसूचना जारी की। चुनाव आयोग को भी सांसदों को अयोग्य ठहराए जाने और उसके कारण लोकसभा में सीटों की रिक्तियों के बारे में सूचित कर दिया गया है। इन दोनों की सदस्यता कल रात को रद्द की गई। इससे पहले राज्यसभा ने रिश्वत के मामले में दोषी ठहराए गए कांग्रेसी सांसद रशीद मसूद को कल दिन में अयोग्य करार दे दिया था।
चारा घोटाले में दोषी ठहराए गए 65 वर्षीय लालू को 5 साल की कैद और 25 लाख रुपये का जुर्माना देने की सजा सुनाई गई है। वह बिहार के सारन से लोकसभा के लिए चुने गए थे।
इस मामले में 63 वर्षीय शर्मा को भी चार साल कैद की सजा हुई है। वह बिहार के जहानाबाद से निर्वाचित हुए थे।
राज्यसभा की अधिसूचना में कहा गया कि मसूद को 19 सितंबर से सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया जाता है। इसी दिन सीबीआई अदालत ने मसूद को दोषी ठहराया था।
जनप्रतिनिधि कानून के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए अधिसूचना में कहा गया कि वह जेल की सजा के दौरान और रिहाई के छह साल बाद तक अयोग्य बने रहेंगे।
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