तेजस्‍वी नहीं देंगे इस्‍तीफा, नीतीश क्‍या अपने चक्रव्‍यूह में फंसे?

दरअसल मंगलवार को नीतीश कुमार ने भ्रष्‍टाचार के मामले में घिरे तेजस्‍वी यादव को खुद को बेदाग साबित करने का अल्‍टीमेटम देने के बाद स्‍पष्‍ट कर दिया था कि राजद को इस मसले पर निर्णायक रुख अपनाना होगा.

तेजस्‍वी नहीं देंगे इस्‍तीफा, नीतीश क्‍या अपने चक्रव्‍यूह में फंसे?

खास बातें

  • नीतीश ने तेजस्‍वी को दिया अल्‍टीमेटम
  • लालू ने कहा कि इस्‍तीफा नहीं देंगे तेजस्‍वी
  • सबकी निगाहें नीतीश के अगले कदम पर टिकीं
नई दिल्ली:

लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को राजद विधायकों की बैठक के बाद स्‍पष्‍ट कर दिया है कि तेजस्‍वी यादव इस्‍तीफा नहीं देंगे. अब इस फैसले के बाद मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ गया है. दरअसल मंगलवार को नीतीश कुमार ने भ्रष्‍टाचार के मामले में घिरे तेजस्‍वी यादव को खुद को बेदाग साबित करने का अल्‍टीमेटम देने के बाद स्‍पष्‍ट कर दिया था कि राजद को इस मसले पर निर्णायक रुख अपनाना होगा. दरअसल जानकारों के मुताबिक राजद के सख्‍त रुख के पीछे की मुख्‍य वजह यह है कि पहले ही भ्रष्‍टाचार के मामलों में घिरे लालू परिवार में से तेजस्‍वी यदि इस्‍तीफा दे देते हैं तो पहले ही बैकफुट पर पहुंचे लालू नैतिक रूप से इस सियासी लड़ाई में हार जाएंगे. इसलिए अब राजद खेमा इंतजार कर रहा है कि नीतीश कुमार अपनी तरफ से कार्रवाई करते हुए तेजस्‍वी को बर्खास्‍त कर दें. इससे राजद को कुछ जमीनी आधार मिल जाऐगा. जानकारों के मुताबिक राजद की रणनीति यह भी है कि तेजस्‍वी को हटाए जाने की स्थिति में राजद कोटे के बाकी 11 मंत्री भी इस्‍तीफा दे देंगे और उस सूरतेहाल में राजद बाहर से नीतीश सरकार को समर्थन देना जारी रखेगी.

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इसके पीछे भी वजह यही बताई जा रही है कि लालू प्रसाद किसी भी सूरत में अपनी तरफ से सरकार को गिराने की कोशिश नहीं करेंगे क्‍योंकि सरकार से बाहर आते ही उनकी छवि का संकट गहरा जाएगा. वह यह भी कतई नहीं चाहेंगे कि एक बार फिर जदयू और बीजेपी का गठबंधन हो जाए क्‍योंकि अबकी बार ऐसा होने की स्थिति में राजद को लंबे सियासी बियाबान में जाना पड़ सकता है.

इन सबके बीच अब सबकी निगाहें नीतीश कुमार के रुख पर टिकी हैं. तेजस्‍वी के बारे में उनका निर्णय ही बिहार की सियासी भविष्‍य को तय करेगा. उधर दूसरी तरफ यह बात पाक-साफ सी दिखती है कि 66 साल की उम्र में नीतीश कुमार अपनी ईमेज को नए सिरे से गढ़ना चाहते हैं और इसके लिए वह प्रधानमंत्री बनने की ख्‍वाहिशों को फिलहाल तिलांजलि देने के इच्‍छुक भी दिखते हैं. दरअसल उनका यह पीएम पद की रेस में बने रहने का मंसूबा तभी पूरा हो सकता है जब वह बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के एक बड़े नेता के रूप में बने रहें. लेकिन हालिया परिदृश्‍य को देखकर ऐसा लगता है कि नीतीश ने यह निश्‍चय कर लिया है कि फिलहाल इसकी कोई उपयोगिता नहीं है.


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