लाल कृष्ण आडवाणी का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
25 जून, 1975 को देश में लगे आपातकाल के खिलाफ अगली पंक्ति में खड़े होकर लड़ाई लड़ने वाले भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी मानते हैं कि देश में राजनीतिक नेतृत्व परिपक्व है, लेकिन इसमें कुछ कमियों के कारण वे आश्वस्त नहीं है कि देश में आपातकाल दोबारा नहीं लग सकता।
आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक जेल में रहे आडवाणी ने इमरजेंसी की 40वीं वर्षगांठ पर अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में उस दौर को याद किया और मौजूदा राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा की।
अखबार से बातचीत में लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ''वह देख रहे हैं कि इस पीढ़ी के लोगों में लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता कम हो रही है।'' उन्होंने आगे कहा, "मैं आश्वस्त नहीं हूं कि आपातकाल दोबारा नहीं लग सकता।'' उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि कोई मुझे यह आश्वासन दे सकता है कि नागरिक अधिकारों को दोबारा से निलंबित या नष्ट नहीं किया जाएगा। बिल्कुल नहीं।''
अखबार ने जब लालकृष्ण आडवाणी से पूछा कि क्या वे भारत-पाकिस्तान बंटवारे के मुकाबले इमरजेंसी के दौर को ज्यादा मुश्किल और कठिन दौर मानते हैं? तो उन्होंने कहा, ''दोष की वजह से। क्योंकि विभाजन ब्रिटिश अपराध था, जबकि इमरजेंसी हमारा।'' उन्होंने कहा, जब वे अन्य नेताओं के साथ पहली बार बेंगलुरु में गिरफ्तार हुए थे, उस वक्त वे संसदीय कमेटी की मीटिंग के लिए वहां गए थे और एक होस्टल में ठहरे थे। उस सुबह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर आपातकाल का ऐलान किया। उस वक्त उन लोगों को बेवजह गिरफ्तार किया गया था।''
आडवाणी ने आगे कहा, सिविल सोसायटी में सजगता के प्रति हमने हाल में अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन को देखा, लेकिन आशाओं से ऊपर उठने के बाद भी उसने निराश किया। उस आंदोलन की विफलता की वजह यह रही कि अगर कोई आंदोलन सरकार का रूप लेना चाहता है, तो वह सफल नहीं होगा।
आडवाणी के बयान पर किसने क्या कहा...
नीतीश कुमार : बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, आडवाणी जी देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। जब उनको चिंता है तो सबको ध्यान देने की जरूरत है। हम लोग तो झेल रहे हैं। ये लोग (भाजपा) जनता से झूठे वादे कर सत्ता में तो आ गए, लेकिन अब चला नहीं पा रहे।
अरविंद केजरीवाल : दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, आडवाणी जी सही कह रहे हैं कि आपातकाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या ये प्रयोग दिल्ली से शुरुआत होगा?
केसी त्यागी : जेडीयू प्रवक्ता ने कहा, आडवाणी जी के साथ मैं भी आपातकाल में बंदी रहा हूं। मैं उनसे सहमति व्यक्त करता हूं। आपातकाल जैसी परिस्थितियां आज भी जीवित हैं और जिन कारणों से आपातकाल लगा था, वो अभी खत्म नहीं हुए हैं।
नरेश अग्रवाल : वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, सरकार को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उन्हीं के दल के वरिष्ठतम सदस्य ने सरकार के बारे में इस तरह की चिंता व्यक्त की है।
कमाल फ़ारूख़ी : पूर्व सपा नेता ने कहा, इस पूरे बयान को पढ़ने के बाद लगता है कि ये चिंता का विषय है और अगर इतने बड़े बीजेपी के नेता ऐसा कह रहे हैं तो इससे पता चलता है कि बहुत हानिकारक स्थिति हैं। ये आने वाले खतरे की घंटी है, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता ने पूरे मुल्क को बताई है।
मनोज झा : आरजेडी नेता ने कहा, आडवाणी जी ने इस बात की तरफ इशारा किया है कि इस मुल्क में सभी दल साथ हैं। मैं उनकी प्रशंसा करना चाहूंगा की जिस तरह की परिस्थितियां चल रही हैं, उन्होंने उस पर अहम विचार व्यक्त किए।
आशुतोष : आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा, आज आडवाणी जी को भाजपा की केंद्र में सरकार होने के दौरान यह कहने की जरूरत पड़ी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला जा रहा है। यानि इसका सीधा मतलब यह है कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और ऐसे हालात बन रहे हैं, जिसमें आपातकाल को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक जेल में रहे आडवाणी ने इमरजेंसी की 40वीं वर्षगांठ पर अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में उस दौर को याद किया और मौजूदा राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा की।
अखबार से बातचीत में लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ''वह देख रहे हैं कि इस पीढ़ी के लोगों में लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता कम हो रही है।'' उन्होंने आगे कहा, "मैं आश्वस्त नहीं हूं कि आपातकाल दोबारा नहीं लग सकता।'' उन्होंने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि कोई मुझे यह आश्वासन दे सकता है कि नागरिक अधिकारों को दोबारा से निलंबित या नष्ट नहीं किया जाएगा। बिल्कुल नहीं।''
अखबार ने जब लालकृष्ण आडवाणी से पूछा कि क्या वे भारत-पाकिस्तान बंटवारे के मुकाबले इमरजेंसी के दौर को ज्यादा मुश्किल और कठिन दौर मानते हैं? तो उन्होंने कहा, ''दोष की वजह से। क्योंकि विभाजन ब्रिटिश अपराध था, जबकि इमरजेंसी हमारा।'' उन्होंने कहा, जब वे अन्य नेताओं के साथ पहली बार बेंगलुरु में गिरफ्तार हुए थे, उस वक्त वे संसदीय कमेटी की मीटिंग के लिए वहां गए थे और एक होस्टल में ठहरे थे। उस सुबह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो पर आपातकाल का ऐलान किया। उस वक्त उन लोगों को बेवजह गिरफ्तार किया गया था।''
आडवाणी ने आगे कहा, सिविल सोसायटी में सजगता के प्रति हमने हाल में अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन को देखा, लेकिन आशाओं से ऊपर उठने के बाद भी उसने निराश किया। उस आंदोलन की विफलता की वजह यह रही कि अगर कोई आंदोलन सरकार का रूप लेना चाहता है, तो वह सफल नहीं होगा।
आडवाणी के बयान पर किसने क्या कहा...
नीतीश कुमार : बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, आडवाणी जी देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। जब उनको चिंता है तो सबको ध्यान देने की जरूरत है। हम लोग तो झेल रहे हैं। ये लोग (भाजपा) जनता से झूठे वादे कर सत्ता में तो आ गए, लेकिन अब चला नहीं पा रहे।
अरविंद केजरीवाल : दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, आडवाणी जी सही कह रहे हैं कि आपातकाल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या ये प्रयोग दिल्ली से शुरुआत होगा?
केसी त्यागी : जेडीयू प्रवक्ता ने कहा, आडवाणी जी के साथ मैं भी आपातकाल में बंदी रहा हूं। मैं उनसे सहमति व्यक्त करता हूं। आपातकाल जैसी परिस्थितियां आज भी जीवित हैं और जिन कारणों से आपातकाल लगा था, वो अभी खत्म नहीं हुए हैं।
नरेश अग्रवाल : वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, सरकार को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि उन्हीं के दल के वरिष्ठतम सदस्य ने सरकार के बारे में इस तरह की चिंता व्यक्त की है।
कमाल फ़ारूख़ी : पूर्व सपा नेता ने कहा, इस पूरे बयान को पढ़ने के बाद लगता है कि ये चिंता का विषय है और अगर इतने बड़े बीजेपी के नेता ऐसा कह रहे हैं तो इससे पता चलता है कि बहुत हानिकारक स्थिति हैं। ये आने वाले खतरे की घंटी है, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता ने पूरे मुल्क को बताई है।
मनोज झा : आरजेडी नेता ने कहा, आडवाणी जी ने इस बात की तरफ इशारा किया है कि इस मुल्क में सभी दल साथ हैं। मैं उनकी प्रशंसा करना चाहूंगा की जिस तरह की परिस्थितियां चल रही हैं, उन्होंने उस पर अहम विचार व्यक्त किए।
आशुतोष : आम आदमी पार्टी के नेता ने कहा, आज आडवाणी जी को भाजपा की केंद्र में सरकार होने के दौरान यह कहने की जरूरत पड़ी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला जा रहा है। यानि इसका सीधा मतलब यह है कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है और ऐसे हालात बन रहे हैं, जिसमें आपातकाल को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
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