
Ladakh Clash: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन (India-china Standoff) के सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद LAC के पास तनावपूर्व हालात है. क्षेत्र में तनाव को कम करने और शांति बहाली के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर जारी है लेकिन आसपास के गांवों के लोग अभी भी भविष्य को लेकर तनाव में है. NDTV संवाददाता सौरभ शुक्ला ने लद्दाख के डेमचोक और चुमुर के सरहद से लगे गांवों के दो 2 काउंसिलर (पार्षदों ) थुपस्तान वांगचुक, पार्षद डेमचोक और गुरमीत दोरजे, चुमुर के साथ विशेष बातचीत की. ये दोनों दूरसंचार सेवा को बहाल करने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करने के लिए 300 KM की यात्रा करके यहां पहुं थे. क्षेत्र में करीब एक माह से यह सेवा सस्पेंड हैं.
बातचीत के दौरान इन दोनों काउंसिलरों ने संकेत दिए कि सीमा में स्थिति बहुत खराब है. सीमावर्ती गांवों में टेलीफोन और इंटरनेट काम नहीं कर रहा है. यही नहीं गांवों में घुमंतू जातियों का आना-जाना तक प्रतिबंधित है. इन दोनों ने बताया कि हमें चराई क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं है. इस दोनों केम अनुसार, वे पिछले एक साल से अधिकारियों को चीनी घुसपैठ के बारे में सूचित करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री से कार्रवाई अनुरोध करते हैं ताकि हम चीन को अपनी जमीन लेने से रोक सकें. इन दोनों ने कहा कि अगर युद्ध होता है तो खानाबदोश/बंजारे (नोमैड्स) सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.थुपस्तान वांगचुक, पार्षद डेमचोक और गुरमीत दोरजे के अनुसार, मौजूदा हालत के कारण गांवों के लोग बहुत डरे हुए हैं.वे कुछ देर में अपने गाँव लौट रहे हैं.
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष हो गया था. चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी जबकि चार सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं. झड़प में चीन के भी करीब 45 सैनिकों की जान जाने की खबर हैं. यह हिंसक झड़प उस समय शुरू हुई थी जब भारतीय सैनिक सीमा के भारत की तरफ चीनी सैनिकों द्वारा लगाए गए टेंट को हटाने गए थे. चीन ने 6 जून को दोनों पक्षों के लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद इस टेंट को हटाने पर सहमति जताई थी. सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय कर्नल बीएल संतोष बाबू को निशाना बनाने के बाद एक शारीरिक संघर्ष छिड़ गया और दोनों पक्षों के बीच डंडों, पत्थरों और रॉड का जमकर इस्तेमाल हुआ था.
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