श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर (Nodeep Kaur) को जमानत मिल गई है. वह 12 जनवरी से जेल में बंद थी. किसानों का आंदोलन, उससे पैदा हुईं कानून एवं व्यवस्था की दिक्कतें, और गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को देश का राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारियों से दुनियाभर की निगाहें हिन्दुस्तान पर टिक गईं. खास फोकस पुलिस की कथित ज़्यादतियों पर रहा, जो पिछले कुछ हफ्तों में उन्होंने प्रदर्शनकारियों और असंतुष्टों के खिलाफ कीं. पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी और उनके तथाकथित सहयोगियों के खिलाफ दर्ज किए गए पुलिस केसों ने निरंकुशता के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर दी. अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस उन लोगों में शुमार रहीं, जिन्होंने तथाकथित अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया. मीना हैरिस सहित कई लोगों का कहना है कि श्रमिक अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता नोदीप कौर उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें प्रशासन ने निशाना बनाया. सरकार द्वारा मनमानी किए जाने के आरोपों के सामने आने से बहुत पहले इस दलित युवती को गिरफ्तार किया गया था, और इसने भी पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
नोदीप कौर - 12 जनवरी से ही जेल में है 23-वर्षीय श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता, 5 मुख्य बातें
नोदीप कौर पर हत्या के प्रयास का आरोप है. नोदीप ने भी आरोप लगाया है कि उसकी मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया, जो क्रिमिनल प्रोसीजर एक्ट की धारा 54 का उल्लंघन है.सरकार की ओर से उसके सहयोगी शिवकुमार की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई है, जिस पर वही आरोप हैं, जो नोदीप कौर पर हैं, सो, नोदीप की ज़मानत अर्ज़ी पर आज सुनवाई हुई और उन्हें जमानत मिल गई.
6 फरवरी तक नोदीप कौर के बारे में ज़्यादा नहीं सुना गया था, जब पहली बार मीना हैरिस ने ट्वीट किया, "23-वर्षीय श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता नोदीप कौर को गिरफ्तार किया गया, यातनाएं दी गईं और पुलिस हिरासत में यौन शोषण भी किया गया..." मीना हैरिस के ट्वीट में भीड़ की तस्वीरें थीं, जो उन्हीं की तस्वीर को जलाते हुए दिख रही थी, और एक अन्य तस्वीर में एक नकाबपोश महिला ने नोदीप की रिहाई की मांग करता पोस्टर उठा रखा था.
नोदीप कौर को 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जब वह दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर कुंडली में श्रमिकों के एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थी. अधिक पारिश्रमिक की मांग करने के लिए आयोजित प्रदर्शन उसी समय हो रहा था, जब तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भी जारी था. महीनों से जारी किसान आदोलन में शिरकत करने वाले बहुत-से किसान कुंडली में भी डेरा डाले हुए हैं.
नोदीप कौर की गिरफ्तारी के बाद उस पर बहुत-से आरोप लगाए गए - जिनमें हत्या, जबरन वसूली, चोरी, दंगा-फसाद करने, गैरकानूनी जमावड़े में शामिल होने तथा डराने-धमकाने के आरोप शामिल हैं. हरियाणा में करनाल जेल में बंद नोदीप कौर पंजाब के मुक्तसर की रहने वाली है. उसे बाद में जबरन वसूली और डराने-धमकाने के आरोप वाले दो मामलों में ज़मानत मिल गई.
नोदीप कौर सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में एक कंपनी में काम करती रही है, और उसका दफ्तर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है, जहां दो महीने से भी ज़्यादा वक्त से किसान लगातार कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
नोदीप की बहन राजवीर कौर ने आरोप लगाया है कि नोदीप को "पुलिस स्टेशन में पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा पीटा गया और यहां तक कि उस पर यौन अपराध भी किए गए... उसके निजी अंगों में चोटें हैं... कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए..." उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मज़दूरों और किसानों की एकता से डर गई है.
पुलिस ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए उन्हें 'मनगढ़ंत' बताया है. उनका आरोप है कि नोदीप कौर के हमले से पुलिसकर्मी ज़ख्मी हुए, जिनमें एक महिला कॉन्स्टेबल भी शामिल थी. यौन शोषण के आरोप को पुलिस ने 'बाद में सोचा गया' करार दिया है.
8 फरवरी को पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) से नोदीप कौर को राहत सुनिश्चित करने के लिए कहा. नोदीप कौर की कथित गैरकानूनी हिरासत पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया.
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