जानें क्या है SC-ST एक्ट? सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया अपना पुराना फैसला वापस

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदाय के लोगों ने 6 सितंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया था.

जानें क्या है SC-ST एक्ट? सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया अपना पुराना फैसला वापस

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में अपने पुराने फैसले को वापस ले लिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब इस एक्ट के तहत बिना जांच के एफआईआर दर्ज की जा सकेगी. यह फैसला SC/ST एक्ट के प्रावधानों को हल्का करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते समय लिया गया है. बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदाय के लोगों ने 6 सितंबर को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया था. देश के कई इलाकों में बंद को सफल कराने के लिए प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे थे. मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भारत बंद कराने के लिए सवर्ण समुदाय के लोग सड़क पर थे. उस दौरान कहीं दुकानें बंद कराई गई थी तो कहीं आगजनी की गई थी. आइये जानते हैं इस एक्ट में क्या है खास..

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क्या है SC-ST Act?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था. जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया. इसके तहत इन लोगों को समाज में एक समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किए गए और इनकी हरसंभव मदद के लिए जरूरी उपाय किए गए. इन पर होनेवाले अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष व्यवस्था की गई ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके. हाल ही में एससी-एसटी एक्ट को लेकर उबाल उस वक्त सामने आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रावधान में बदलाव कर इसमें कथित तौर पर थोड़ा कमजोर बनाना चाहा. 

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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में किया था यह बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा. शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी. डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल की बात को मानते हुए कहा था कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.

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संशोधन के बाद अब ऐसा होगा SC/ST एक्ट
एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी जाएगी. इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो जाएंगे. मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी. आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकेगी. मामले में जांच इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर करेंगे. जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होगा. एससी/एसटी मामलों की सुनवाई सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होगी. सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होगी.

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