इंदौर में बोहरा समाज के प्रवचन में भाग लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इंदौर में बोहरा समाज के प्रवचन में हिस्सा लेने पहुंचे. उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम नेता मौजूद रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजसेवा के क्षेत्र में बोहरा समाज के योगदान को लेकर खूब सराहना की. हम बता रहे हैं आखिर कौन हैं बोहरा समाज. जिनके कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे. यह दूसरा मौका है, जब पीएम मोदी बोहरा मुसलमानों के कार्यक्रम में पहुंचे. इससे पहले जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब इस समाज के कार्यक्रम में पहुंचे थे. मुसलमानों के इस वर्ग का नरेंद्र मोदी से गहरा रिश्ता रहा है. कहा जाता है कि गुजरात में सीएम रहते मोदी को इस वर्ग का समर्थन हासिल था. दंगों के बाद इस तबके में नाराजगी उभरकर सामने आई थी. मगर बाद में दूर भी हो गई थी.
कौन हैं बोहरा मुसलमान
बोहरा समाज आम मुस्लिमों से कुछ अलग होता है. इस समाज में काफी पढ़े-लिखे हैं. इनकी आबादी देश में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कोलकाता, चेन्नई आदि स्थानों पर प्रमुख रूप से है. बताया जाता है कि बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं. दाऊदी बोहरा शियाओं से समानता रखते हैं. वहीं सुन्नी बोहराहनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं. देश में 20 लाख से ज्यादा बोहरा समुदाय की आबादी है. बोहरा समुदाय के लोग विदेशों में भी खूब रहते हैं.पाकिस्तान, यूएसए, दुबई, अरब, यमन, ईराक आदि देशों में भी आबादी फैली है. धर्मगुरु को सैय्यदना कहते हैं. सैय्यदना जो बनता है, उसी को बोहरा समाज अपनी आस्था का केंद्र मानता है. बोहरा समाज पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छे काम ही नहीं बल्कि समाजसेवा के लिए भी जाना जाता है.यह काम ट्रस्ट के जरिए किया जाता है. महाराष्ट्र में बोहरा समाज की दावते हादिया नामक एक ट्रस्क की संपत्ति हजार करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है. गुजरात सहित कई राज्यों में बोहरा समाज की ट्रस्ट संचालित हैं.
बोहरा इमामों को मानते हैं. बोहरा गुजराती शब्द वहौराऊ यानी व्यापार का अपभ्रंश बताया जाता है. दाऊदी बोहराओं का मुख्यालय मुंबई में है. देश में कुल 20 लाख से ज्यादा बोहरा आबादी है, जिसमें 15 लाख दाऊदी बोहरा हैं. 21 वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम के बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हुई, जिन्हें दाई-अल-मुतलक कहते हैं. जब 52 वे दाई-अल-मुतलक सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन हुआ तो 2014 से बेटे सैयदना डॉ. मुफद्दुल सैफुद्दीन उत्तराधिकारी बने. सैफुद्दीन 53 वें दाई-अल-मुतलक हैं.
वीडियो-बोहरा मुस्लिम कैसे हैं दूसरे मुस्लिमों से अलग?
कौन हैं बोहरा मुसलमान
बोहरा समाज आम मुस्लिमों से कुछ अलग होता है. इस समाज में काफी पढ़े-लिखे हैं. इनकी आबादी देश में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कोलकाता, चेन्नई आदि स्थानों पर प्रमुख रूप से है. बताया जाता है कि बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं. दाऊदी बोहरा शियाओं से समानता रखते हैं. वहीं सुन्नी बोहराहनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं. देश में 20 लाख से ज्यादा बोहरा समुदाय की आबादी है. बोहरा समुदाय के लोग विदेशों में भी खूब रहते हैं.पाकिस्तान, यूएसए, दुबई, अरब, यमन, ईराक आदि देशों में भी आबादी फैली है. धर्मगुरु को सैय्यदना कहते हैं. सैय्यदना जो बनता है, उसी को बोहरा समाज अपनी आस्था का केंद्र मानता है. बोहरा समाज पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छे काम ही नहीं बल्कि समाजसेवा के लिए भी जाना जाता है.यह काम ट्रस्ट के जरिए किया जाता है. महाराष्ट्र में बोहरा समाज की दावते हादिया नामक एक ट्रस्क की संपत्ति हजार करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है. गुजरात सहित कई राज्यों में बोहरा समाज की ट्रस्ट संचालित हैं.
बोहरा इमामों को मानते हैं. बोहरा गुजराती शब्द वहौराऊ यानी व्यापार का अपभ्रंश बताया जाता है. दाऊदी बोहराओं का मुख्यालय मुंबई में है. देश में कुल 20 लाख से ज्यादा बोहरा आबादी है, जिसमें 15 लाख दाऊदी बोहरा हैं. 21 वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम के बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हुई, जिन्हें दाई-अल-मुतलक कहते हैं. जब 52 वे दाई-अल-मुतलक सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन हुआ तो 2014 से बेटे सैयदना डॉ. मुफद्दुल सैफुद्दीन उत्तराधिकारी बने. सैफुद्दीन 53 वें दाई-अल-मुतलक हैं.
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