शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो
मुंबई:
शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लाहौर की औचक यात्रा की पृष्ठभूमि में सोमवार को कहा कि भारतीय खून से ‘सनी’ पाकिस्तानी भूमि को ‘चूमना’ ‘महंगा’ साबित होगा तथा उसने मोदी को याद दिलाया कि इस पड़ोसी देश से ‘बहुत अधिक नजदीक’ होने का प्रयास करने पर भाजपा के दिग्गज नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक करियर नीचे की ओर चला गया।
पाकिस्तान के करीब जाने वाले अलग-थलग पड़े
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘जिस बात को याद रखे जाने की आवश्यकता है वो यह है कि ऐसी आम मान्यता रही है कि अतीत में पाकिस्तान के बहुत निकट होने की कोशिश करने वाला नेता लंबे समय तक राजनीति में नहीं रह पाया। लालकृष्ण आडवाणी एक बार (मोहम्मद अली) जिन्ना की मजार पर गए थे और उनकी प्रशंसा की थी। इसके बाद उनका राजनीतिक ग्राफ गिरने लगा और आज वह अलग थलग पड़े हैं।’
भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक साझेदार शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा और आगरा में परवेज मुशर्रफ के साथ बातचीत के कदमों को भी याद कराया। उसने कहा, ‘‘वाजपेयी ने दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की कोशिश में ‘लाहौर बस’ सेवा शुरू की और वह आगरा में जनरल परवेज मुशर्रफ से भी मिले। इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार कभी सत्ता में नहीं आई।’
भाजपा की प्रतिक्रिया पर भी उठाए सवाल
पार्टी ने प्रधानमंत्री के अचानक पाकिस्तान जाने पर भाजपा की प्रतिक्रिया को लेकर भी सवाल उठाया। उसने कहा, ‘पूरा देश यह पूछ रहा है कि यदि कांग्रेस का कोई प्रधानमंत्री अचानक इस तरह लाहौर उतरा होता तो क्या भाजपा उसी तरह इस निर्णय का स्वागत करती जैसे उसने मोदी के मामले में किया है। पाकिस्तान की भूमि शापित है और इसे चूमना महंगा साबित होगा क्योंकि यह लाखों निर्दोष भारतीयों के खून से सनी है।’
हिंदुत्व समर्थक तथा केंद्र एवं महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा के साथ भागीदार शिवसेना कई मुद्दों लेकर मोदी की आलोचना करती आ रही है। उसने दादरी की घटना तथा मुंबई में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कंसर्ट रद्द होने के मुद्दे को लेकर मोदी पर निशाना साधा था। मंगोलिया को एक अरब डॉलर के कर्ज को लेकर भी उसने प्रधानमंत्री की आलोचना की थी।
पाकिस्तान के करीब जाने वाले अलग-थलग पड़े
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘जिस बात को याद रखे जाने की आवश्यकता है वो यह है कि ऐसी आम मान्यता रही है कि अतीत में पाकिस्तान के बहुत निकट होने की कोशिश करने वाला नेता लंबे समय तक राजनीति में नहीं रह पाया। लालकृष्ण आडवाणी एक बार (मोहम्मद अली) जिन्ना की मजार पर गए थे और उनकी प्रशंसा की थी। इसके बाद उनका राजनीतिक ग्राफ गिरने लगा और आज वह अलग थलग पड़े हैं।’
भाजपा की सबसे पुरानी वैचारिक साझेदार शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा और आगरा में परवेज मुशर्रफ के साथ बातचीत के कदमों को भी याद कराया। उसने कहा, ‘‘वाजपेयी ने दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की कोशिश में ‘लाहौर बस’ सेवा शुरू की और वह आगरा में जनरल परवेज मुशर्रफ से भी मिले। इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार कभी सत्ता में नहीं आई।’
भाजपा की प्रतिक्रिया पर भी उठाए सवाल
पार्टी ने प्रधानमंत्री के अचानक पाकिस्तान जाने पर भाजपा की प्रतिक्रिया को लेकर भी सवाल उठाया। उसने कहा, ‘पूरा देश यह पूछ रहा है कि यदि कांग्रेस का कोई प्रधानमंत्री अचानक इस तरह लाहौर उतरा होता तो क्या भाजपा उसी तरह इस निर्णय का स्वागत करती जैसे उसने मोदी के मामले में किया है। पाकिस्तान की भूमि शापित है और इसे चूमना महंगा साबित होगा क्योंकि यह लाखों निर्दोष भारतीयों के खून से सनी है।’
हिंदुत्व समर्थक तथा केंद्र एवं महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा के साथ भागीदार शिवसेना कई मुद्दों लेकर मोदी की आलोचना करती आ रही है। उसने दादरी की घटना तथा मुंबई में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कंसर्ट रद्द होने के मुद्दे को लेकर मोदी पर निशाना साधा था। मंगोलिया को एक अरब डॉलर के कर्ज को लेकर भी उसने प्रधानमंत्री की आलोचना की थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
शिवसेना, मुखपत्र, पीएम नरेंद्र मोदी, पीएम मोदी की लाहौर यात्रा, पाकिस्तान, उद्धव ठाकरे, Shiv Sena, Shiv Sena Editorial Mouthpiece, PM Narendra Modi, PM Modi In Lahore, Pakistan, Uddhav Thackeray