जम्मू / श्रीनगर:
जम्मू एवं कश्मीर के किश्तवाड़ में कर्फ्यू रविवार को तीसरे दिन भी जारी रहा और जम्मू एवं राजौरी व अन्य कस्बों में भी हिंसा का प्रसार रोकने के लिए एहतियातन कर्फ्यू आयद कर दिया गया। इस बीच रविवार को किश्तवाड़ जाने के लिए जम्म पहुंचे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अरुण जेटली को जम्मू हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया और उन्हें वापस दिल्ली भेज दिया गया।
अमरनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए राज्य में मोबाइल फोन पर इंटरनेट सेवा और डोंगल उपकरणों के इस्तेमाल की सुविधा वापस ले ली गई है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि किश्तवाड़ में हिंसा भड़कने के बाद कुछ शरारती तत्व जम्मू शहर एवं जिले के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास में हैं। उन्होंने कहा, "जम्मू शहर एवं राजौरी कस्बे में एहतियात के तौर पर कर्फ्यू लागू किया गया है।" दिन के समय जम्मू क्षेत्र के कठुआ, सांबा, रेआसी, कटरा और उधमपुर कस्बों में भी कर्फ्यू लगा दिया गया।
भाजपा नेताओं ने जेटली को जम्मू हवाई अड्डे पर रोकने और किश्तवाड़ नहीं जाने देने की निंदा की है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे लगता है कि राज्य सरकार कुछ छिपाने का प्रयास कर रही है। पार्टी के नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में कहा है, "अरुण जेटली और अन्य विपक्षी नेताओं को किश्तवाड़ नहीं जाने देना असंवैधानिक है।"
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य सरकार पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया। श्रीनगर में संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
उधर, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को जम्मू क्षेत्र में हिंदू एवं मुस्लिम समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की और तनावग्रस्त क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं को न घुसने देने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने बिना किसी पार्टी का नाम लिए कहा, "मैं शुरुआती संघर्ष के लिए किसी राजनीतिक दल को जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। लेकिन संघर्ष के बाद मदद करने की जगह उन्होंने ठीक उलटा काम किया।" उन्होंने कहा, "मैं पूरी कोशिश करूंगा कि ये लोग अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकें।"
ईद-उल-फितर के दिन शुक्रवार को किश्तवाड़ में हुई हिंसा में दो लोग मारे गए थे। स्थिति को काबू में करने में पुलिस के नाकाम रहने के बाद सेना की सहायता ली गई। उसके बाद संघर्ष की स्थिति कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी फैल गई।
उमर ने कहा, "यह दो समुदायों का आपसी संघर्ष है, जो आम तौर पर शांति से साथ रहा करते हैं।" उन्होंने कहा, "हिंदुओं और मुस्लिमों को एक साथ रहना है और यह उनके हित में है कि वे सामान्य स्थिति बनाने में मदद करें।" उन्होंने रविवार को भाजपा नेता अरुण जेटली को किश्तवाड़ जाने से रोकने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने कहा, "क्या वह देश के ऐसे दूसरे क्षेत्रों में गए हैं, जहां इस तरह की स्थिति पैदा हुई हो। सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर और खास तौर से जम्मू क्षेत्र में ही क्यों?" उन्होंने कहा, "कश्मीर में जब शिया-सुन्नी टकराव हुआ था, तो क्या वे यहां आए थे।" उन्होंने कहा, "यदि आप सहायता करने के लिए आएं, तो मैं आपकी भूमिका के लिए काफी उदारता दिखाऊंगा। 2008 और 2010 में उनकी भूमिका से स्पष्ट हो गया है कि वे स्थिति का फायदा राजनीति स्वार्थ साधने में उठाते हैं।"
एक सवाल के जवाब में उमर ने कहा, "किश्तवाड़ में एक तीसरा शव मिलने की रिपोर्ट मिली है, लेकिन मैं इसकी पुष्टि तभी करूंगा, जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि मौत संघर्ष की वजह से ही हुई है।" उनसे पूछा गया था कि ग्राम रक्षा समितियों को आतंकवादियों से सामना करने के लिए जो हथियार दिए गए थे, क्या उनका इस्तेमाल इस टकराव में हुआ था। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने में प्रशासन ने कोई कोताही नहीं बरती है। उन्होंने कहा कि पुलिस से स्थिति नहीं संभल पाने के बाद रात घिरने से पहले सेना बुलाकर तैनात कर दी गई थी।
अमरनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए राज्य में मोबाइल फोन पर इंटरनेट सेवा और डोंगल उपकरणों के इस्तेमाल की सुविधा वापस ले ली गई है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि किश्तवाड़ में हिंसा भड़कने के बाद कुछ शरारती तत्व जम्मू शहर एवं जिले के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास में हैं। उन्होंने कहा, "जम्मू शहर एवं राजौरी कस्बे में एहतियात के तौर पर कर्फ्यू लागू किया गया है।" दिन के समय जम्मू क्षेत्र के कठुआ, सांबा, रेआसी, कटरा और उधमपुर कस्बों में भी कर्फ्यू लगा दिया गया।
भाजपा नेताओं ने जेटली को जम्मू हवाई अड्डे पर रोकने और किश्तवाड़ नहीं जाने देने की निंदा की है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे लगता है कि राज्य सरकार कुछ छिपाने का प्रयास कर रही है। पार्टी के नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में कहा है, "अरुण जेटली और अन्य विपक्षी नेताओं को किश्तवाड़ नहीं जाने देना असंवैधानिक है।"
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य सरकार पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया। श्रीनगर में संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि वे स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
उधर, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को जम्मू क्षेत्र में हिंदू एवं मुस्लिम समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की और तनावग्रस्त क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं को न घुसने देने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने बिना किसी पार्टी का नाम लिए कहा, "मैं शुरुआती संघर्ष के लिए किसी राजनीतिक दल को जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। लेकिन संघर्ष के बाद मदद करने की जगह उन्होंने ठीक उलटा काम किया।" उन्होंने कहा, "मैं पूरी कोशिश करूंगा कि ये लोग अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकें।"
ईद-उल-फितर के दिन शुक्रवार को किश्तवाड़ में हुई हिंसा में दो लोग मारे गए थे। स्थिति को काबू में करने में पुलिस के नाकाम रहने के बाद सेना की सहायता ली गई। उसके बाद संघर्ष की स्थिति कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी फैल गई।
उमर ने कहा, "यह दो समुदायों का आपसी संघर्ष है, जो आम तौर पर शांति से साथ रहा करते हैं।" उन्होंने कहा, "हिंदुओं और मुस्लिमों को एक साथ रहना है और यह उनके हित में है कि वे सामान्य स्थिति बनाने में मदद करें।" उन्होंने रविवार को भाजपा नेता अरुण जेटली को किश्तवाड़ जाने से रोकने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने कहा, "क्या वह देश के ऐसे दूसरे क्षेत्रों में गए हैं, जहां इस तरह की स्थिति पैदा हुई हो। सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर और खास तौर से जम्मू क्षेत्र में ही क्यों?" उन्होंने कहा, "कश्मीर में जब शिया-सुन्नी टकराव हुआ था, तो क्या वे यहां आए थे।" उन्होंने कहा, "यदि आप सहायता करने के लिए आएं, तो मैं आपकी भूमिका के लिए काफी उदारता दिखाऊंगा। 2008 और 2010 में उनकी भूमिका से स्पष्ट हो गया है कि वे स्थिति का फायदा राजनीति स्वार्थ साधने में उठाते हैं।"
एक सवाल के जवाब में उमर ने कहा, "किश्तवाड़ में एक तीसरा शव मिलने की रिपोर्ट मिली है, लेकिन मैं इसकी पुष्टि तभी करूंगा, जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि मौत संघर्ष की वजह से ही हुई है।" उनसे पूछा गया था कि ग्राम रक्षा समितियों को आतंकवादियों से सामना करने के लिए जो हथियार दिए गए थे, क्या उनका इस्तेमाल इस टकराव में हुआ था। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने में प्रशासन ने कोई कोताही नहीं बरती है। उन्होंने कहा कि पुलिस से स्थिति नहीं संभल पाने के बाद रात घिरने से पहले सेना बुलाकर तैनात कर दी गई थी।
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