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This Article is From Dec 23, 2020

Kisan Diwas 2020 : सिंघू बॉर्डर के प्रदर्शन में शामिल पंजाब की महिला किसान सरबजीत की कहानी

दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 26 नवंबर से ही पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, इनमें महिला किसान भी शामिल हैं. इनमें से पंजाब की किसान सरबजीत की कहानी.

Kisan Diwas 2020 : सिंघू बॉर्डर के प्रदर्शन में शामिल पंजाब की महिला किसान सरबजीत की कहानी
पंजाब की सरबजीत पिछले कई दिनों से सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल हो रही हैं.

Farmers' Protests : दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 26 नवंबर से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन में शामिल पंजाब की महिला किसान भी शामिल हैं. इनमें से एक सरबजीत भी शामिल हैं. किसानों के आंदोलन को लगभग एक महीने हो रहे हैं और बुधवार को देश किसान दिवस मना रहे हैं. ऐसे में इस मौके पर 'Humans of Bombay' ने सरबजीत से बात की. बातचीत के दौरान उन्होंने इस बात जोर देकर कहा कि 'हम लड़ना नहीं चाहते हैं, हम बस चाहते हैं कि हमारी आवाज सुनी जाए.'

उन्होंने कहा कि 'मैंने अपनी पूरी जिंदगी खेती को दे दी है.' उन्होंने बताया कि वो अपने माता-पिता के चार बच्चों में से एक ही लड़की थीं. उनके पिता ने उन्हें लड़कों की तरह पाला-पोसा. उन्होंने ही सरबजीत पर जोर दिया कि वो घर पर खाना बनाने की बजाय उनके साथ खेतों में काम करें.

खेती में वो इतनी ज्यादा रम गईं कि अपनी शादी में उन्होंने यह शर्त रखी कि वो खेतों में काम करना जारी रखेंगी. खेती से जो पैसा बनता था, वो घर के खर्च में लग जाता था. सरबजीत ने किसानों के संघर्ष पर बात करते हुए कहा कि 'मैंने बीज बोने से लेकर फसल काटने तक सब कुछ किया है. कभी बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है, तो कभी कीड़े हमारी फसल बरबाद कर देते हैं, लेकिन हम अपनी मेहनत जारी रखते हैं.'

उन्होंने कहा कि हालांकि, जब किसानों को ध्यान में रखे बिना यह बिल पास किए गए तो वो घर पर नहीं बैठे रह सकती थीं. उन्होंने अपने घर में दिल्ली में हो रहे इन प्रदर्शनों में शामिल होने की बात कही. बेटे के विरोध के बावजूद वो प्रदर्शन शुरू होने के एक हफ्ते के बाद सिंघू बॉर्डर पर पहुंच गईं.

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प्रदर्शन स्थल के बारे में बात करते हुए सरबजीत ने बताया कि यहां पर हर शाम को किसान पंजाबी लोकगीत गाने के लिए जुटते हैं. गुरुपरब पर तो पुलिसवालों ने भी उनका साथ दिया था. उन्होंने कहा, 'वो गलत नहीं हैं बेटा.वो अपनी रोटी के लिए यहां हैं और हम अपनी रोटी के लिए. हम बस अपनी आवाज पहुंचाना चाहते हैं. और अगर अपनी आवाज पहुंचाने के लिए दिल्ली की हाड़ कंपाने वाली और सांस तक लेने में मुश्किल पैदा करने वाली ठंड में भी बैठना पड़े तो मंजूर है.' 

उन्होंने कहा, 'हम मुश्किल से कमा पाते हैं, लेकिन हम आपकी थाली रोज भरते हैं. मैं मानती हूं कि पैसा जरूरी है, सबको पैसा चाहिए. लेकिन पैसे से भूख नहीं मिटती ना. हमारे अनाज से मिटती है.' सरबजीत ने कहा, 'मैं यहां से तब तक नहीं जाऊंगी, जब तक हम जीत न जाएं.'

Humans of Bombay के फेसबुक पेज पर सरबजीत की कहानी शेयर होने के अगले दो घंटों के अंदर ही 200 से ज्यादा बार शेयर की जा चुकी थी. कई लोगों ने कॉमेंट सेक्शन में उनकी तारीफ की और उनके ज़ज्बे को सलाम किया. वहीं कुछ लोगों ने यह कहानी सामने लाने के लिए धन्यवाद दिया.

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