केरल में आई बाढ़ ने बढ़ाई आम लोगों की परेशानी
नई दिल्ली:
केरल में मानसूनी बारिश और बाढ़ ने राज्य के लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है. अभी तक बाढ़ की वजह से 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि राज्य में अभी भी एक लाख से ज्यादा लोग बाढ़ में फंसे हैं. गौरतलब है कि शुक्रवार को एक ही दिन में 106 लोगों की मौत की खबर आई है. बाढ़ की वजह से अब प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए ऑक्सीजन की कमी, पेट्रोल-डीजल न होना और सीमित पेयजल एक बड़ी समस्या की तरफ है. बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में काम कर रहे अधिकारियों के अनुसार वहां फंसे लोग अब कम ऑक्सीजन से भी जूझ रहे हैं जो एक बड़ी चिंता की तरह है. ध्यान हो कि बीते आठ अगस्त से अब तक बाढ़ के कारण अलग-अलग जगहों पर कई लाख लोग फंसे हुए हैं. इनमें से अभी तक 80,000 से ज्यादा लोगों को आज सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया. इनमें 71,000 से ज्यादा लोग बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित एर्नाकुलम जिले के अलुवा क्षेत्र से थे.
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तीनों सेनाओं के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने छतों और ऊंची जगहों पर फंसे लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने का दुरूह काम आज फिर से शुरू किया. पहाड़ी इलाकों में पहाड़ के हिस्से जमीन पर गिरने से सड़क जाम हो चुकी है, जिससे बाकी जगहों से उनका संपर्क टूट जा रहा है. द्वीप की शक्ल ले चुके कई गांवों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान भी जारी है. नौका से नहीं पहुंचने लायक जगहों में फंसी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कई लोगों को सेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. बाढ़ की हालत का जायदा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार रात केरल पहुंच चुके हैं.
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वह शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे. मोदी ने फोन पर मुख्यमंत्री पी. विजयन से बात करने के बाद ट्वीट किया कि हमने पूरे राज्य में बाढ़ के हालात पर चर्चा की और राहत अभियानों की समीक्षा की. मैं केरल जाऊंगा ताकि बाढ़ के कारण पैदा हुए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का जायजा ले सकूं. पिछले दो दिन से मोदी और विजयन लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं. वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से भी बात कर चुके विजयन ने कहा कि हालात गंभीर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि 70,000 से ज्यादा परिवारों के लगभग 3.14 लाख लोगों ने राहत शिविरों में शरण ले रखी है. उन्होंने कहा कि 29 मई, जब दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दी थी, के बाद से 385 लोग मारे जा चुके हैं. कुछ जगहों पर बारिश में थोड़ी कमी आई लेकिन चार जिलों - पथनमथिट्टा, अलफुजा, एर्नाकुलम और त्रिचूर - में मानसून का कहर जारी है. अधिकारियों ने बताया कि एर्नाकुलम जिले के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गयी है.
VIDEO: केरल में बाढ़ ने मचाई तबाही.
इस कारण अधिकारियों को मरीजों को निकट के अस्पतालों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अस्पतालों में बाढ़ का पानी घुस आने के कारण कई मरीजों को वहां से निकालना पड़ा. राहत शिविरों में रह रहे लोग भी खाना और पेयजल की किल्लत की शिकायत कर रहे हैं. कई पेट्रोल पंपों, यहां तक कि तिरुवनंतपुरम में भी पेट्रोल नहीं है. तिरुवनंतपुरम जिले के कई ईंधन स्टेशनों में लंबी-लंबी कतारें देखी गई. अधिकारियों ने प्रत्येक ईंधन स्टेशन से कहा है कि वे 3,000 लीटर डीजल और 1,000 लीटर पेट्रोल का भंडार सुरक्षित रखें ताकि राहत अभियानों में इनका इस्तेमाल किया जा सके. (इनपुट भाषा से)
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तीनों सेनाओं के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के जवानों ने छतों और ऊंची जगहों पर फंसे लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने का दुरूह काम आज फिर से शुरू किया. पहाड़ी इलाकों में पहाड़ के हिस्से जमीन पर गिरने से सड़क जाम हो चुकी है, जिससे बाकी जगहों से उनका संपर्क टूट जा रहा है. द्वीप की शक्ल ले चुके कई गांवों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान भी जारी है. नौका से नहीं पहुंचने लायक जगहों में फंसी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित कई लोगों को सेना के हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. बाढ़ की हालत का जायदा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार रात केरल पहुंच चुके हैं.
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वह शनिवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे. मोदी ने फोन पर मुख्यमंत्री पी. विजयन से बात करने के बाद ट्वीट किया कि हमने पूरे राज्य में बाढ़ के हालात पर चर्चा की और राहत अभियानों की समीक्षा की. मैं केरल जाऊंगा ताकि बाढ़ के कारण पैदा हुए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का जायजा ले सकूं. पिछले दो दिन से मोदी और विजयन लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं. वहीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से भी बात कर चुके विजयन ने कहा कि हालात गंभीर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि 70,000 से ज्यादा परिवारों के लगभग 3.14 लाख लोगों ने राहत शिविरों में शरण ले रखी है. उन्होंने कहा कि 29 मई, जब दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दी थी, के बाद से 385 लोग मारे जा चुके हैं. कुछ जगहों पर बारिश में थोड़ी कमी आई लेकिन चार जिलों - पथनमथिट्टा, अलफुजा, एर्नाकुलम और त्रिचूर - में मानसून का कहर जारी है. अधिकारियों ने बताया कि एर्नाकुलम जिले के कई निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गयी है.
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इस कारण अधिकारियों को मरीजों को निकट के अस्पतालों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है. अस्पतालों में बाढ़ का पानी घुस आने के कारण कई मरीजों को वहां से निकालना पड़ा. राहत शिविरों में रह रहे लोग भी खाना और पेयजल की किल्लत की शिकायत कर रहे हैं. कई पेट्रोल पंपों, यहां तक कि तिरुवनंतपुरम में भी पेट्रोल नहीं है. तिरुवनंतपुरम जिले के कई ईंधन स्टेशनों में लंबी-लंबी कतारें देखी गई. अधिकारियों ने प्रत्येक ईंधन स्टेशन से कहा है कि वे 3,000 लीटर डीजल और 1,000 लीटर पेट्रोल का भंडार सुरक्षित रखें ताकि राहत अभियानों में इनका इस्तेमाल किया जा सके. (इनपुट भाषा से)
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