केरल में नेता विपक्ष रमेश चेन्नीथला हरिपद सीट से करीब 8 हजार वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं. कोझिकोड की वडाकरा सीट से आरएमपी नेता टीपी चंद्रशेखरन की पत्नी के रीमा भारी जीत की ओर बढ़ रही है. आरोप है कि चंद्रशेखरन की राजनीतिक प्रतिशोध के तहत हत्या कर दी गई. एर्नाकुलम से कांग्रेस प्रत्याशी अनवर सादात लगातार तीसरी जीत की ओर हैं. मध्य त्रावणकोर की 14 में से 10 सीटें एलडीएफ की झोली में जाती दिख रही है. हालांकि पाला सीट पर केरल कांग्रेस (एम) के प्रमुख जोस के मणि को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा. माकपा प्रत्याशी के के रामचंद्रन ने पुथुक्कड क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी यूडीएफ के सुनील अंतिक्काड को 27,353 मतों के अंतर से हराया.पाला सीट से यूडीएफ के मणि कप्पन 7211 वोटों से आगे हैं, जबकि थोडुपुझा से पार्टी के पीजे जोसेफ ने 2114 मतों से बढ़त बना रखी है. पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी पुथुपाली सीट से आगे है.
बीजेपी शून्य की ओर लौटी
पलक्कड सीट से मेट्रो मैन ई श्रीधरन लेफ्ट के शफी परांबिल के हाथों चुनाव हार गए. मंजेश्वरम सीट से बीजेपी नेता और प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को भी हार का मुंह देखना पड़ा. त्रिशूर से सुरेश गोपी और नेमोम सीट कुम्मानम राजशेखरम को भी हार झेलनी पड़ी.त्रिशूर से बीजेपी नेता सुरेश गोपी भी चुनाव हार गए. बीजेपी ने केरल विधानसभा चुनाव 2016 में एक सीट जीती थी.
कन्याकुमारी लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस आगे
मल्लपुरम लोकसभा सीट के उपचुनाव में यूपीए के प्रत्याशी एमपी अब्दुससमद समादानी 114495 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विजय वसंत 131541 वोटों से आगे हैं. यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता पोन राधाकृष्णन की जीत की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं. राधाकृष्णन 2014 में कन्याकुमारी सीट से जीते थे.
केरल में 633 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती सुबह 8 बजे शुरू हुई. केरल में 140 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, उनकी कैबिनेट के 11 सदस्य, विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमन चांडी, बीजेपी की राज्य इकाई के प्रमुख के. सुरेंद्रन, ‘मेट्रोमैन' ई. श्रीधरन और पूर्व केंद्रीय मंत्री के जे अलफोंस सहित 957 उम्मीदवार मैदान में हैं.
केरल में 114 काउंटिंग सेंटर्स में 633 बड़े केंद्र बनाए गए हैं. इनमें से 527 में ईवीएम से मतों की गिनती हो रही है. जबकि 106 कक्षों में बैलेट पेपर की गणना शुरू हुई. काउंटिंग में 24 हजार के करीब मतगणना कर्मियों को लगाया गया है. केरल के 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 2 करोड़ से ज्यादा वोटरों ने इस बार वोट डाला.
तमाम एग्जिट पोल्स में राज्य में सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) गठबंधन और कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के बीच टक्कर की स्थिति है, हालांकि एलडीएफ को कुछ बढ़त हासिल है जबकि यूडीएफ दूसरे स्थान पर है. बीजेपी को भी राज्य में कुछ सीटें मिल सकती हैं. हालांकि केरल में 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 20 में से 19 सीटें जीती थीं.
NDTV के पोल ऑफ एग्जिट पोल्स के अनुसार राज्य की 140 विधानसभा सीटों में एलडीएफ के खाते में 76 सीटें जा सकती हैं जो कि बहुमत के आंकड़े 71 सीटों से ज्यादा ही है.
पिछली बार एलडीएफ को दो तिहाई बहुमत
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने 140 में से 91 सीटों पर विजय पताका फहराकर सरकार बनाई थी. जबकि कांग्रेस को 47 सीटों से संतोष करना पड़ा. बीजेपी ने पहली बार 1 सीट से अपना खाता खोला था. लेफ्ट दलों के गठबंधन को 43.48 फीसदी और यूडीएफ को 38.81 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी को 15 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन वह एक सीट ही जीत पाई थी. 2016 के चुनाव में 77.53 फीसदी वोट पड़े थे.
क्या 4 दशक पुराना मिथक टूटेगा
केरल में इससे पहले 1980 के दशक में लगातार एक ही पार्टी की सरकार बनी. 1970 में 72 और फिर 1977 के चुनाव में 111 सीटें जीतकर संयुक्त मोर्चा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई. उसके बाद से लगातार एलडीएफ और यूडीएफ के बीच हर चुनाव में सत्ता की अदला-बदली होती रहती है.
इस बार मतदान कम रहा
केरल विधानसभा चुनाव में 1.32 करोड़ पुरुष और 1.41 करोड़ महिला वोटर हैं. केरल में इस बार चुनाव में 74.57 फीसदी वोट पड़े, जो पिछली बार से दो फीसदी कम रहा.