श्रीनगर की महिलाओं के लिए राहत बनकर आईं इरफाना ज़रगर, लॉकडाउन में बांट रहीं फ्री सैनिटरी नैपकिन

लॉकडाउन के बीच श्रीनगर की इरफाना ज़रगर यहां महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड बांट रही हैं. इरफाना इस दौरान श्रीनगर और आसपास के गांवों में महिलाओं, लड़कियों को फ्री में सैनिटरी नैपकिन दे रही हैं. लॉकडाउन की वजह से यहां महिलाओं को हर महीने सैनिटरी पैड की सप्लाई खरीदने में मुश्किल हो रही थी.

श्रीनगर की महिलाओं के लिए राहत बनकर आईं इरफाना ज़रगर, लॉकडाउन में बांट रहीं फ्री सैनिटरी नैपकिन

इरफाना ज़रगर अपनी कमाई से महिलाओं को फ्री सैनिटरी नैपकिन दे रही हैं.

श्रीनगर:

कोरोनावायरस लॉकडाउन में जहां बहुत से लोग जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए हैं और खाने-पीने का सामान मुहैया करा रहे हैं, वहीं जम्मू -कश्मीर में एक महिला दूसरी महिलाओं के लिए एक मददगार चेहरा बनकर उभरी हैं. लॉकडाउन के बीच श्रीनगर की इरफाना ज़रगर यहां महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड बांट रही हैं. इरफाना इस दौरान श्रीनगर और आसपास के गांवों में महिलाओं, लड़कियों को फ्री में सैनिटरी नैपकिन दे रही हैं. लॉकडाउन की वजह से यहां महिलाओं को हर महीने सैनिटरी पैड की सप्लाई खरीदने में मुश्किल हो रही थी.

इरफाना ज़रगर ने इन महिलाओं के लिए 'Eva Safety Kit' इनीशिएटिव शुरू किया है. उन्होंने यह इनीशिएटिव दिवंगत पिता ग़ुलाम हसन ज़रगर को समर्पित किया है. उन्होंने अबतक श्रीनगर में 15 शौचालयों में मेन्सट्रुअल किट बांटे हैं. 

यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक साल में हासिल कीं तीन दर्जन उपलब्धियां

इरफाना ने बताया, 'मैंने यह कॉन्सेप्ट मैंने पहले शौचालयों में शुरू किया था. मैंने श्रीनगर के 15 शौचालयों और फिर गावों को कवर करना चाहती थी. अगर मेरे भाई और बहन मेरे साथ हैं तो अल्लाह की दुआ से मैं इस इनीशिएटिव को और आगे ले जाऊंगी. लॉकडाउन खत्म होने के बाद मैं इस मिशन को आस-पास के गांवों में ले जाना चाहती हूं.'

इरफाना ने अपनी कमाई का आधा हिस्सा मेन्स्ट्रअल प्रॉडक्ट खरीदने में लगा दिया है और ये सप्लाई गरीब बच्चियों में बांट दिया है. इरफाना के किट में पीरियड के दौरान स्वच्छ और स्वस्थ आदत बनाए रखने में मदद करने के लिए सैनिटरी नैपकिन, एंटीस्पैज्मोडिक्स और हैंड वॉश वगैरह होता है. 

यह भी पढ़ें: अगले साल तक तैयार हो जाएगा चेनाब नदी पर बन रहा दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल

इरफाना ने कहा कि महिलाएं समाज के निर्माण का अहम हिस्सा होती हैं, इसलिए जरूरी है कि उनके स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा जाए. उनके इस इनीशिएटिव की तारीफ स्थानीय लोगों ने भी की है और उनकी मदद कर रहे हैं. श्रीनगर की निवासी मरयम जैन ने कहा, 'वो अच्छा काम कर रही हैं. लॉकडाउन की वजह से हम बाहर नहीं जा पाते थे, ऐसे में हम उनसे संपर्क करते थे और वो हमारी मदद करती थीं. यह नेक काम है.'

इरफाना अपने काम से समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला रही हैं और महिलाओं-लड़कियों की जिंदगी आसान और स्वस्थ बना रही हैं.  अनुमान के मुताबिक, भारत में 12 करोड़ से अधिक महिलाओं को पीरियड के चलते रोज़मर्रा की जिंदगी में मुश्किलें आती है, लेकिन लगभग मासिक धर्म आने वाली 35.5 करोड़ महिलाओं में से बस 36 फीसदी महिलाएं ही सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं.

Video: कश्मीर में घुमंतू बच्चों की पढ़ाई-लिखाई शुरू

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com