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This Article is From Oct 13, 2016

यही तो है कश्मीरियत : अशांति के बीच पंडित जोड़ी की शादी कराने आगे आए मुस्लिम और सिख

यही तो है कश्मीरियत : अशांति के बीच पंडित जोड़ी की शादी कराने आगे आए मुस्लिम और सिख
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
लोग बोले- मदद करना हमारा फर्ज है. यही तो कश्मीरियत है.
शादी की तैयारियों से लेकर अन्‍य कामों में बंटाया हाथ.
घाटी में अशांति के कारण शादी का मौसम भी प्रभावित हुआ है.
श्रीनगर: तीन महीने से कश्मीर में चल रही अशांति से शादियों का यह पारंपरिक मौसम प्रभावित हुआ है, लेकिन घाटी के पुलवामा जिले में मुस्लिमों और सिखों ने एक पंडित जोड़ी की शादी कराने में हाथ बंटाकर सांप्रदायिक सौहार्द और भाइचारे का उदाहरण पेश किया है.

तहाब गांव के आशू टिक्कू ने कल निकटवर्ती लोसवाणी गांव की नीशू पंडिता से शादी की और दोनों गैर प्रवासी परिवारों के साथ मुसलमान और सिख पड़ोसी भी शामिल हुए.

पड़ोसियों में अधिकतर मुसलमान और सिख हैं, जिन्होंने दोनों परिवारों को शामियाना गाड़ने, विवाह की दावत के लिए जलावन की व्यवस्था करने, और कई प्रवासी पंडित रिश्तेदारों सहित मेहमानों के आवभगत सहित कई कामों में मदद की. शादी के दौरान पारंपरिक लोक गीत 'वानवुन' के दौरान युगल के परिजनों से ज्यादा मुसलमान महिलाएं वहां मौजूद थीं और पुरूष लोग दुल्हन के घर को सजाने में व्यस्त थे.

दरअसल, अशांति की वजह से घाटी में आम जनजीवन पर असर पड़ने के साथ ही शादी का मौसम भी प्रभावित हुआ है. विवाह में शरीक हुए सिखों और मुसलमानों ने कहा, 'हमें नहीं लगता कि हमने कुछ नायाब किया है. वे सभी हमारे अपने लोग हैं और एक दूसरे की मदद करना हमारा फर्ज है. यही तो कश्मीरियत है'.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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