नई दिल्ली:
इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में जीवित बचे यात्रियों के चेहरों पर खौफ अब भी कायम है और उनकी बातों से साफ झलक रहा था कि वे किस प्रकार मौत के मुंह से निकल कर आ रहे हैं. इस हादसे ने न जाने कितनी ही जिंदगियों को तबाह कर दिया. ट्रेन की टूटी-फूटी बोगियों के बीच उन जिंदगियों के कुछ निशान पुखरायां में बिखरे पड़े हैं. सैकड़ों गठरियां, पोटलियां, बैग और सूटकेस यहां पड़े हैं. किसी की शादी के कार्ड भी यहां बिखरे पड़े हैं. दोस्तों और रिश्तेदारों को बांटने से पहले ही यहां बिखर गए. कई गठरियों और बैगों के अंदर फोन बज रहे हैं.
सरकारी कर्मचारियों को इन बैगों और पोटलियों को खोलने का जिम्मा मिला है. ये काम इनके लिए भी मुश्किल हो रहा है. बैग से मोबाइल फोन निकालकर उनके परिचित को मौत की खबर सुनाना बेहद मुश्किल काम है.
इसी ट्रेन में इंदौर से आजमगढ़ जा रही रूबी गुप्ता की 1 दिसंबर को शादी है. पूरा परिवार साथ था, लेकिन हादसे के बाद पिता नहीं मिल रहे. शादी का सामान भी ना जाने कहां पड़ा है. इस ढेर के बीच आई कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस अब यही पहचान ढूंढी जा रही है. काफी कीमती सामान ऐसा है, जिसका दावेदार अभी कोई नहीं दिख रहा. ऐसा सामान कानपुर के डीएम के ज़िम्मे सौंपा जा रहा है. अगले कुछ दिन इसे ढूंढने वाले यहां आते रहेंगे.
ट्रेन के बाहर 17 साल की एक लड़की अपने भाई को खोजने का प्रयास कर रही थी. दोनों भोपाल में एक तैराकी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के बाद पटना लौट रहे थे. उनके साथ उनकी मां भी थीं.
बचाव दल में शामिल शक्ति सिंह ने कहा, मैंने एक वृद्ध महिला को बाहर निकाला, उन्हें उस समय तक यह एहसास नहीं था कि उनका एक पैर कट गया है. डिब्बों में हर जगह शव और खून बिखरा हुआ था.
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
सरकारी कर्मचारियों को इन बैगों और पोटलियों को खोलने का जिम्मा मिला है. ये काम इनके लिए भी मुश्किल हो रहा है. बैग से मोबाइल फोन निकालकर उनके परिचित को मौत की खबर सुनाना बेहद मुश्किल काम है.
इसी ट्रेन में इंदौर से आजमगढ़ जा रही रूबी गुप्ता की 1 दिसंबर को शादी है. पूरा परिवार साथ था, लेकिन हादसे के बाद पिता नहीं मिल रहे. शादी का सामान भी ना जाने कहां पड़ा है. इस ढेर के बीच आई कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस अब यही पहचान ढूंढी जा रही है. काफी कीमती सामान ऐसा है, जिसका दावेदार अभी कोई नहीं दिख रहा. ऐसा सामान कानपुर के डीएम के ज़िम्मे सौंपा जा रहा है. अगले कुछ दिन इसे ढूंढने वाले यहां आते रहेंगे.
ट्रेन के बाहर 17 साल की एक लड़की अपने भाई को खोजने का प्रयास कर रही थी. दोनों भोपाल में एक तैराकी प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के बाद पटना लौट रहे थे. उनके साथ उनकी मां भी थीं.
बचाव दल में शामिल शक्ति सिंह ने कहा, मैंने एक वृद्ध महिला को बाहर निकाला, उन्हें उस समय तक यह एहसास नहीं था कि उनका एक पैर कट गया है. डिब्बों में हर जगह शव और खून बिखरा हुआ था.
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
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