तीन ही महीने बीते हैं, जब सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होते वक्त चीफ जस्टिस आरएम लोढा ने कहा था, अब कुछ महीने खुद को वक्त दूंगा, लेकिन अब जस्टिस लोढा फिर से काम पर हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है - बीसीसीआई को नए सिरे से खड़ा करने, आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स टीमों के अलावा राज कुंद्रा और गुरुनाथ मयप्पन का भविष्य तय करने की। इसी के साथ, एन श्रीनिवासन का भविष्य भी जस्टिस लोढा की रिपोर्ट से ही जुड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रहते हुए जस्टिस लोढा ने कई अहम फैसले सुनाए। कॉलेजियम के मुददे पर वह सरकार से सीधे टकराते भी दिखे। उन्होंने सार्वजनिक मंच पर यहां तक कह दिया था कि अगर न्यायपालिका के काम में हस्तक्षेप हुआ, तो वह पहले व्यक्ति होंगे, जो अपनी कुर्सी छोड़ देंगे।
लेकिन अब वक्त बदल चुका है। हाल ही में दक्षिण दिल्ली के स्वामी नगर में रह रहे जस्टिस लोढा से मुलाकात हुई। वही गर्मजोशी देखने को मिली। उन्होंने बड़े प्यार से चाय भी पिलाई और तमाम बातें भी कीं, जिनमें दिल्ली चुनाव को लेकर चर्चा भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर भी उन्होंने बातचीत की, लेकिन वह इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बोलना चाहते। हालांकि उन्होंने इंग्लैंड का जिक्र जरूर किया और बताया कि किस तरह वहां जज की नियुक्ति के लिए पूरा पैनल काम करता है, इसलिए उन्हें लगता है कि ऐसे में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता बरती जा सकती है।
जस्टिस लोढा के मुताबिक काम हाईकोर्ट में भी उतना ही होता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज पर दबाव ज्यादा होता है, क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश को ठीक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश आखिरी आदेश होता है। जस्टिस लोढा ने न्यायपालिका में अपने 21 साल के सफर को याद करते हुए कई पुराने किस्से भी सुनाए।
फिर कहा कि कुछ दिन पहले उन्हें बीसीसीआई और आईपीएल फिक्सिंग मामले में एक पैनल की अध्यक्षता करने का न्योता मिला, जिसके लिए वह तैयार हो गए। हालांकि वह जानते हैं कि यह काम चुनौती भरा है, लेकिन जस्टिस लोढा ने कहा कि वह चाहते हैं कि छह माह में काम पूरा कर लें। लेकिन इनमें सबसे मुश्किल काम है, बीसीसीआई में सुधार के लिए सुझाव देना।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले उन्होंने इस पैनल के दो अन्य जजों जस्टिस अशोक भान और जस्टिस आरवी रवींद्रन से बात की। इसके बाद उन्होंने एक मीटिंग भी की और यह तय किया कि मामले की जांच में कैसे आगे बढ़ा जाए। अब फरवरी के पहले हफ्ते में दूसरी मीटिंग की जाएगी।
जस्टिस लोढा के मुताबिक अभी सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का पूरा जजमेंट पढ़ने का काम चल रहा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद भी जताई कि छह महीने में अपना काम पूरा करने की कोशिश करेंगे। मीडिया के बारे में जस्टिस लोढा कहते हैं कि कई बार हिन्दी चैनल देखकर वह भी झटका खा जाते हैं, जब कोई ख़बर आती है कि सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई।
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