
न्यायाधीश जेएस खेहर
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अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के केंद्र के फैसले को निरस्त किया
नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत नहीं दी
समान काम के लिए समान वेतन का निर्णय भी जस्टिस खेहर ने दिया था
वे कई महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए खासे चर्चित रहे हैं. उन्होंने ही इस साल जनवरी में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के केंद्र के फैसले को निरस्त किया था.
जस्टिस खेहर की बेंच ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत नहीं दी थी. कोर्ट ने अपने आदेश में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कहा था कि वे निचली अदालत में ट्रॉयल का सामना करें. कोर्ट ने सोनिया और राहुल गाँधी को व्यतिगत पेशी से छूट भी देने से इंकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था ये निचली अदालत का विशेषाधिकार है. इसलिए ये निचली अदालत ही तय करे कि आपको व्यतिगत पेशी से छूट मिलेगी या नहीं. इसके बाद दोनों को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होना पड़ा था.
इसके अलावा सेबी सहारा मामले की भी जस्टिस खेहर ने सुनवाई की थी और मार्च, 2014 सहारा प्रमुख सुब्रत राय को हिरासत में भेजा था. समान काम के लिए समान वेतन से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय भी जस्टिस खेहर ने दिया था.
जस्टिस खेहर 29 नवंबर, 2009 से लेकर 7 अगस्त, 2010 तक उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे थे. इसके बाद 8 अगस्त, 2010 को उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभाला था. 12 सितंबर, 2011 तक वह कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीस रहे. इसके बाद 13 सितंबर, 2011 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.
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