
घायल कैमरामैन ने बनाया वीडियो
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कैमरामैन ने कहा - बचूंगा इसकी उम्मीद कम है
'मौत सामने होने के बाद भी नहीं लग रहा है डर'
हमले में एक साथी कमैरामैन की गई थी जान
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चींटियां शरीर पर रेंगने लगीं, इसलिए वीडियो बंद करना पड़ा अगर हाथ हिलता-डुलता तो नक्सली फायर कर देते. इतना कुछ होने के बाद भी इस जांबाज ने मोबाइल कैमरा ऑन किया, मां को आखिरी सलाम भेजने. मौत सामने दिख रही थी, आंखों में थी तो मां की याद,गला सूख रहा था तो एक सिपाही से थोड़ा पानी मांगा, गीता को याद करते हुए खुद को ढांढस बंधाया. बाद में एनडीटीवी से बातचीत में कहा मैंने सोचा कैमरामैन घायल हो गये हैं, उस वक्त नहीं पता था वो शहीद हो गये हैं, बस ड्यूटी को अंजाम दिया.
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उस कंडीशन में लगा ज्यादा पल बचे नहीं हैं कुछ सांसें बची हैं बस मां की याद सबसे पहले आई.बाकी ईश्वर की याद आई उस परिस्थिति से लड़ने की हिम्मत जुटाने का प्रयास किया. दूरदर्शन की टीम के साथ 150-200 की संख्या में सुरक्षाकर्मी थे, लेकिन एक पाइंट से गांव तक जाने के लिये उन्हें 5 बाइक मिलीं. तीन बाइक के पीछे टीम बैठी.बाकी दो पर जवान. सड़क में खेत शूट करने के दौरान नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. करीब 40 मिनट फायरिंग होती रही. दो जवानों की मौत हो गई. कैमरामैन अच्युत्यानंद साहू की बाइक सबसे आगे थी, उन्हें गोली लगी और वो भी चल बसे. उनके साथी रहे रिपोर्टर धीरज ने कहा रात नींद नहीं आई, सोता जागता था वो मेरे दोस्त की तस्वीर मेरे सामने है, उसे गोली लगते देखा कल मेरे बिस्तर के बगल में सोया था रात में सोने गया तो बिस्तर सूना था.
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भीतर से बेचैनी बढ़ रही थी. ओडिशा के बोलांगीर में अच्युनानंद साहू के घर उनको आख़िरी विदाई देने बड़ी तादाद में उमड़ आया लोगों का हुजूम. पत्रकारिता की आकर्षक दिखने वाली दुनिया कभी-कभी किस कदर जानलेवा होती है, इसे अच्युतानंद साहू बता गए.
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