पिछले महीने जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा को 40 दिन गुजर गए हैं. इस मामले में पुलिस के हाथ कई अहम सबूत लगे हैं, लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस किसी ने अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. 5 जनवरी को हुई हिंसा में एक छात्रा और शिक्षिका का सिर फट गया था और दो दर्जन छात्रों को भी चोंटे आईं थी. लेकिन फिर भी पुलिस की जांच पूरे मामले में बहुत धीमी रफ्तार से चल रही है. वॉयरल वीडियो, हमलावरों की हथियार लिए तस्वीरों और हमले की योजना बनाने के लिए बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप के तमाम स्क्रीन शाट्स बताते हैं कि भाजपा के छात्र संगठन ABVP ने सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम दिया था.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो :-
- दिल्ली पुलिस जेएनयू हिंसा के मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं करेगी
- आरोपी छात्रों को सीधे चार्जशीट कर कोर्ट में पेश करने की तैयारी है
- चार्जशीट में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइषी घोष समेत दूसरे लेफ़्ट छात्र भी शामिल होंगे
- एबीवीपी के छात्रों को भी चार्जशीट किया जाएगा
- पूरे मामले में दिल्ली पुलिस ने 70 लोगों से पूछताछ की है
- जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों और शिक्षकों से भी पूछताछ हुई
- पुलिस का कहना है नियम के मुताबिक पूरे 90 दिनों में दाखिल करेगी चार्जशीट
- पुलिस तमाम वॉयरल वीडियो के सत्यापन के लिए कर रही है FSL रिपोर्ट का इंतजार
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दिल्ली पुलिस ने जेएनयू मामले में कुल तीन FIR दर्ज की थीं. दो FIR हिंसा के पहले जेएनयू प्रशासन की ओर से लेफ्ट छात्रों के खिलाफ तोड़फोड़ करने के लिए दर्ज कराई गई और तीसरी FIR दिल्ली पुलिस ने हिंसा के लिए स्वत: संज्ञान में लेते हुए दर्ज की थी जिसमें किसी को नामित नहीं किया था. दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले में सिर्फ एक प्रेस कांफ्रेंस पिछले महीने की थी, जिसमें पुलिस ने हमलावरों की 9 तस्वीरें जारी की थीं. इसमें 7 लेफ़्ट के छात्र थे और 2 एबीवीपी के छात्र थे. पुलिस ने लेफ्ट के छात्रों के संगठन तो बताए लेकिन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार भी एबीवीपी का नाम नहीं लिया. पुलिस का रवैया ये दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई अब तक एकतरफ़ा रही है.
क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो जांच के दायरे में जिनको रखा गया है, उनमें 11 के मोबाइल अभी भी बंद हैं. दो संदिग्ध ग्रुपों के आधार पर जिन अन्य लोगों की पहचान हुई थी, उनमें से भी कुछ के मोबाइल बंद हैं. दरअसल दोनों ही ग्रुप घटना के वक्त ही बनाए गए थे. इस कारण कई लोग एक दूसरे से वाकिफ भी नहीं हैं. वहीं, कुछ ने तो घटना के बाद ही ग्रुप छोड़ भी दिया था. पुलिस के मुताबिक हिंसा के वक्त बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुपों में से 60 की पहचान कर ली गई है.
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लेकिन सबसे अचरज की बात ये है कि वॉयरल वीडियो में डंडा लिए दिख रही नक़ाबधारी छात्रा के खिलाफ तमाम सबूत होने के बाद भी पुलिस अब तक उससे पुछताछ नहीं कर पाई. Alt News की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो में जो छात्रा दिख रही है उसका नाम कोमल शर्मा ही है. इसके अलावा वॉयरल वीडियो से एबीवीपी के छात्र विकास पटेल, शिवम मंडल की पहचान की जा चुकी है लेकिन क्या वजह है कि अब तक इनकी गिरफ़्तारी नहीं की गई?
वहीं, साल 2016 में वॉयरल वीडियो के आधार पर सिर्फ 3 दिन के अंदर कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था तो क्या 5 जनवरी को जेएनयू में हुई हिंसा में सिर्फ़ एबीवीपी का हाथ होने की वजह से पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे है?
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