जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने परिसर में शारीरिक हिंसा, गाली-गलौज और धरना देने पर छात्रों पर 50000 रुपये का जुर्माना लगाने वाले नियमों को वापस ले लिया है. विश्वविद्यालय की कुलपति ने गुरुवार को यह जानकारी दी.‘जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम' शीर्षक वाले 10 पन्नों के दस्तावेज में प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान है. इसमें प्रॉक्टर स्तर की जांच की प्रक्रिया और बयान दर्ज करने का भी प्रावधान है. इसमें 5000 रुपये से लेकर 50000 रुपये तक जुर्माने या विश्वविद्यालय से निष्कासित करने और प्रवेश निरस्त करने का भी प्रावधान है.
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी. मैं किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं. मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली. मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है. मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला. इसलिए, मैंने इसे वापस ले लिया है.''
विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने नये नियम की निंदा की थी और इन्हें क्रूरतापूर्ण बताया. जेएनयू छात्र संघ ने नये नियमों पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को सभी छात्र संगठनों की बैठक बुलाई थी.
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