कन्हैया की वकील ने आरोप लगाया है कि उनके मुवक्किल को कोर्टरूम में पीटा गया।
नई दिल्ली:
पटियाला हाउस कोर्ट में पुलिस की भारी मौजदगी के बावजूद उनके मुवक्किल कन्हैया कुमार को कोर्ट रूम के अंदर पीटा गया। यह आरोप जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया की वकील वृंदा ग्रोवर ने NDTV के साथ चर्चा के दौरान लगाया। कन्हैया पर जेएनयू विवाद मामले में देशद्रोह का आरोप लगाया गया है।
वृंदा ग्रोवर ने बताया कि जब वह कोर्ट पहुंचीं तो आक्रामक अंदाज में नारेबाजी कर रहे वकीलों के समूह के आगे पुलिस को खड़ा हुआ पाया। उन्हें कोर्ट नंबर चार में इंतजार करने को कहा गया। इसी समय उन्होंने देखा कि कन्हैया को कोर्ट नंबर तीन में ले जाया जा रहा है जो कि उस स्थान के एकदम सामने है जहां पर पुलिस खड़ी हुई थी। इसके बाद गहरे रंग का चश्मा पहने एक शख्स कोर्ट नंबर तीन में दाखिल हुआ। वहां मौजूद डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) ने इस व्यक्ति से पूछा कि वह कौन ? इस सवाल पर उसका जवाब था, 'तू पूछेगा कि मैं कौन हूं?' इसके बाद वह चला गया।
वृंदा के अनुसार, कुछ 'गड़बड़' को महसूस करते हुए वे कोर्ट नंबर तीन में चली गईं और देखा कि कन्हैया को पिटा हुआ पाया। कन्हैया ने बताया कि चश्मे वाले शख्स ने उसे पीटा है। यह हैरतअंगेज है कि डीसीपी और दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने मौहजूद रहने को कहा था, ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं देखा। वृंदा ने जब पुलिस से मामले में कार्रवाई को कहा तो उसने भी कुछ नहीं किया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद भी अजीबोगरीब घटनाओं का सिलसिला जारी रहा। पुलिस की ओर से जिस डॉक्टर को मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया, उसने कन्हैया का यह बयान लेने से मना कर दिया कि उसे कोर्ट के अंदर पीटा गया। उसने केवल जज के निर्देश का ही पालन किया। वृंदा के मुताबिक, सुप्रीम के पर्यवेक्षकों के आने के बाद भी पुलिस के रवैये में बदलाव आया, वरना कुछ भी हो सकता था। इससे पहले, दिल्ली पुलिस के प्रमुख बीएस बस्सी ने NDTV को एक इंटरव्यू में बताया कि पुलिस कन्हैया कुमार को कोर्ट तक सुरक्षित लेकर गई थी।
वृंदा ग्रोवर ने बताया कि जब वह कोर्ट पहुंचीं तो आक्रामक अंदाज में नारेबाजी कर रहे वकीलों के समूह के आगे पुलिस को खड़ा हुआ पाया। उन्हें कोर्ट नंबर चार में इंतजार करने को कहा गया। इसी समय उन्होंने देखा कि कन्हैया को कोर्ट नंबर तीन में ले जाया जा रहा है जो कि उस स्थान के एकदम सामने है जहां पर पुलिस खड़ी हुई थी। इसके बाद गहरे रंग का चश्मा पहने एक शख्स कोर्ट नंबर तीन में दाखिल हुआ। वहां मौजूद डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) ने इस व्यक्ति से पूछा कि वह कौन ? इस सवाल पर उसका जवाब था, 'तू पूछेगा कि मैं कौन हूं?' इसके बाद वह चला गया।
वृंदा के अनुसार, कुछ 'गड़बड़' को महसूस करते हुए वे कोर्ट नंबर तीन में चली गईं और देखा कि कन्हैया को पिटा हुआ पाया। कन्हैया ने बताया कि चश्मे वाले शख्स ने उसे पीटा है। यह हैरतअंगेज है कि डीसीपी और दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने मौहजूद रहने को कहा था, ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं देखा। वृंदा ने जब पुलिस से मामले में कार्रवाई को कहा तो उसने भी कुछ नहीं किया।
उन्होंने बताया कि इसके बाद भी अजीबोगरीब घटनाओं का सिलसिला जारी रहा। पुलिस की ओर से जिस डॉक्टर को मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया, उसने कन्हैया का यह बयान लेने से मना कर दिया कि उसे कोर्ट के अंदर पीटा गया। उसने केवल जज के निर्देश का ही पालन किया। वृंदा के मुताबिक, सुप्रीम के पर्यवेक्षकों के आने के बाद भी पुलिस के रवैये में बदलाव आया, वरना कुछ भी हो सकता था। इससे पहले, दिल्ली पुलिस के प्रमुख बीएस बस्सी ने NDTV को एक इंटरव्यू में बताया कि पुलिस कन्हैया कुमार को कोर्ट तक सुरक्षित लेकर गई थी।
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