
फोटो- जेएनयू कैंपस लौटने के बाद अपने दोस्तों के साथ कन्हैया कुमार।
Kanhaiya Kumar poses with friends for a picture after his return on the JNU campus
नई दिल्ली:
देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को कल दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद आज तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहाई के बाद कन्हैया ने NDTV से कहा कि 'मुझे मीडिया ट्रायल का शिकार बनाया गया। मैं अपनी कहानी खुद लिखूंगा। मैंने जेल में ही लिखना शुरू कर दिया था।'
गिरफ्तारी के 21 दिन बाद जेएनयू कैंपस लौटे कन्हैया ने आगे कहा कि 'मैं टीवी और अखबारों पर निरंतर खुद से संबंधित खबरों पर नजर रखता था।' कन्हैया ने कहा, 'मैंने कुछ भी राष्ट्रविरोधी नहीं कहा... मुझे यकीन है कि सच की जीत होगी। सही तथ्य धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं।' कन्हैया ने आगे कहा, 'मैं लंबी लड़ाई के लिए तैयार हूं।'
इससे पहले कन्हैया कुमार ने अपनी रिहाई के लिए आज दोपहर दिल्ली की एक अदालत में जमानत राशि जमा की, जिसके बाद उसकी जेल से शाम को रिहाई हो पाई। हाईकोर्ट ने कन्हैया को कुछ शर्तों पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी।
कन्हैया को दिल्ली पुलिस ने पूरे सुरक्षा घेरे में जेएनयू पहुंचाया। कन्हैया की रिहाई चुपचाप तरीके से की गई। कन्हैया की ज़मानत को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए, क्योंकि पहले भी उसे कोर्ट में पेश करने के दौरान काफी धक्का-मुक्की हुई थी, जिससे दिल्ली पुलिस की किरकिरी भी हुई थी। कन्हैया पर देशविरोधी नारे लगाने का आरोप था, लेकिन पुलिस कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई।
कन्हैया की अंतरिम जमानत के लिए शर्तें निर्धारित करते हुए कल उच्च न्यायालय ने कहा था कि 10,000 रुपये की जमानत राशि और जमानतदार देना होगा और इस शर्त से संतुष्ट करना होगा कि वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे।
बुधवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने हिन्दी फिल्म 'उपकार' के गाने... मेरे देश की धरती सोना उगले.... का जिक्र करते हुए कहा कि देश ने हमें कई महान देशभक्त दिए हैं। देश के सैनिक विपरित हालातों में देश की रक्षा करते हैं। ऐसे में कहीं अगर देश विरोधी नारे लगते हैं तो उनके मन को ठेस पहुंचती है।
कोर्ट ने कहा कि देश विरोधी नारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं माना जा सकता। वहीं कन्हैया की ज़मानत की खबर सुनकर जेएनयू से लेकर उनके गांव तक में खुशी का माहौल है। कन्हैया की रिहाई के बाद आज जेएनयू में एक स्वागत मार्च निकाला जाएगा। साथ ही एक सभा का आयोजन भी किया गया है।
गिरफ्तारी के 21 दिन बाद जेएनयू कैंपस लौटे कन्हैया ने आगे कहा कि 'मैं टीवी और अखबारों पर निरंतर खुद से संबंधित खबरों पर नजर रखता था।' कन्हैया ने कहा, 'मैंने कुछ भी राष्ट्रविरोधी नहीं कहा... मुझे यकीन है कि सच की जीत होगी। सही तथ्य धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं।' कन्हैया ने आगे कहा, 'मैं लंबी लड़ाई के लिए तैयार हूं।'
इससे पहले कन्हैया कुमार ने अपनी रिहाई के लिए आज दोपहर दिल्ली की एक अदालत में जमानत राशि जमा की, जिसके बाद उसकी जेल से शाम को रिहाई हो पाई। हाईकोर्ट ने कन्हैया को कुछ शर्तों पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दी थी।
कन्हैया को दिल्ली पुलिस ने पूरे सुरक्षा घेरे में जेएनयू पहुंचाया। कन्हैया की रिहाई चुपचाप तरीके से की गई। कन्हैया की ज़मानत को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए, क्योंकि पहले भी उसे कोर्ट में पेश करने के दौरान काफी धक्का-मुक्की हुई थी, जिससे दिल्ली पुलिस की किरकिरी भी हुई थी। कन्हैया पर देशविरोधी नारे लगाने का आरोप था, लेकिन पुलिस कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाई।
कन्हैया की अंतरिम जमानत के लिए शर्तें निर्धारित करते हुए कल उच्च न्यायालय ने कहा था कि 10,000 रुपये की जमानत राशि और जमानतदार देना होगा और इस शर्त से संतुष्ट करना होगा कि वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे।
बुधवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने हिन्दी फिल्म 'उपकार' के गाने... मेरे देश की धरती सोना उगले.... का जिक्र करते हुए कहा कि देश ने हमें कई महान देशभक्त दिए हैं। देश के सैनिक विपरित हालातों में देश की रक्षा करते हैं। ऐसे में कहीं अगर देश विरोधी नारे लगते हैं तो उनके मन को ठेस पहुंचती है।
कोर्ट ने कहा कि देश विरोधी नारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं माना जा सकता। वहीं कन्हैया की ज़मानत की खबर सुनकर जेएनयू से लेकर उनके गांव तक में खुशी का माहौल है। कन्हैया की रिहाई के बाद आज जेएनयू में एक स्वागत मार्च निकाला जाएगा। साथ ही एक सभा का आयोजन भी किया गया है।
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