छात्रों के भारी विरोध के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हॉस्टल फीस (Hostel Fee) बढ़ोतरी में कटौती की गई. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन ने यह फैसला लिया है. बता दें कि फीस बढ़ोतरी के खिलाफ JNU के छात्र करीब दो हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे थे. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद जेएनयू प्रशासन ने यह फैसला लिया है. शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यन ने बुधवार को ट्वीट कर बताया कि एग्जिक्यूटिव कमिटी ने हॉस्टल फीस में वृद्धि और अन्य नियमों से जुड़े फैसले को वापस ले लिया है. उन्होंने छात्रों से अपील की है कि प्रदर्शन खत्म कर वापस क्लास का रुख करें. इसके साथ ही शिक्षा सचिव ने यह भी कहा कि एग्जिक्यूटिव कमिटी की बैठक में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के स्टूडेंट्स को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने से संबंधित योजना का प्रस्ताव भी पेश किया गया और गरीब परिवारों के छात्रों के लिए योजना का भी ऐलान किया गया.
इससे पहले जेएनयू (JNU) एक्जीक्यूटिव काउंसिल के रिप्रिजेंटेटिव टीचर सच्चिदानंद सिन्हा ने कहा कि ''हम मीटिंग के लिए आए. पर यहां मीटिंग नहीं हो रही. एक्जीक्यूटिव काउंसिल में टीचर्स के प्रतिनिधि होने चाहिए. अब तक ऐसा नहीं हुआ है. यह ब्लैक डे है. मुझे यही लगता है कि ये निर्णय ले लेंगे. ऑटोक्रेटिक में इनका भरोसा है.''
JNU स्टूटेंड यूनियन के अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि ''मीटिंग का वेन्यू चेंज है. यह हमारा राइट टू स्टडी का सवाल है. हर मीटिंग में यही हो रहा है टीचर और स्टूडेंट को बाहर रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि क्राइसिस की स्थिति है. तीन अक्टूबर को होस्टल मैन्युअल का ड्राफ्ट आया. 18 तक सुझाव देना था. कर्फ्यू टाइमिंग, कपड़े कैसे हों, मेस में फीस वृद्धि 1000 प्रतिशत की. बताया गया कि जो सुझाव आएगा कंसीडर करेंगे. हर स्टूडेंट ने ईमेल कर आपत्ति जताई. इस मैन्युअल में सब साफ नहीं है.'' उन्होंने कहा कि ''18 की मीटिंग 28 अक्टूबर को रखी जाती है. स्टूडेंट रिजेक्ट करने की बात कहता है. मीटिंग में हमें बुलाया नहीं जाता. सब होस्टल प्रेसीडेंट पहुंचे भी नहीं, बस तीन ही थे. पर उनकी आपत्ति की बात नहीं सुनी गई.''
घोष ने कहा कि ''हम हड़ताल पर हैं, पर पढ़ना चाहते हैं. 1000 फीसदी फीस बढ़ा दी गई है. यह अटैक है आइडिया ऑफ पब्लिक एजुकेशन पर. हजारों सपने खत्म हो जाएंगे. पब्लिक एजुकेशन का निजीकरण करने की कोशिश है. गरीब और पिछड़े तबके को एजुकेशन से मिलने वाले पावर पर ये अटैक है. डाइवर्सिटी ऑफ आइडिया पर अटैक है. चार साल से अटैक हो रहा है यहां, ये आज फीस वृद्धि की बात नहीं है.बातचीत के लिए तैयार हैं. ड्राफ्ट को रोलबैक किया जाए. मांग है कि IHA मीटिंग में सबको शामिल कर नया मैन्युअल बनाएं.''
घोष ने कहा कि ''प्रोटेस्ट शिक्षा के बाजारीकरण के विरोध में हो रहा है. गरीब का बच्चा कैसे पढ़ेगा यहां? जेएनयू का 50 वां साल है. देखना चाहिए जेएनयू ने इस दौरान सोसाइटी को कितना कान्ट्रीब्यूट किया है. EC के मेंबर को बताया नहीं जाता मीटिंग के सही वेन्यू को लेकर.. ये क्राइसिस है. वीसी और सरकार यही चाहते हैं कि जेएनयू को बंद करवा दें.
#JNU Executive Committee announces major roll-back in the hostel fee and other stipulations. Also proposes a scheme for economic assistance to the EWS students. Time to get back to classes. @HRDMinistry
— R. Subrahmanyam (@subrahyd) November 13, 2019
स्टूडेंट यूनियन के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि आज की स्थिति बनी नहीं, बनाई गई है. सरकार और प्रशासन की यह प्रायोरिटी नहीं कि 40 प्रतिशत को पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. उनकी चिंता प्रोटेस्ट को लेकर थी. कैम्पस में जेल बनाई जाए, यह नए होस्टल मैन्युअल के जरिए कोशिश है. हीटर या कूलर मिला तो 10 हज़ार का फाइन, दूसरी बार मिला तो निकाल दिया जाएगा. दो साल पहले फीस बढ़ी है. ये गलत है कि 10 साल से नहीं बढ़ी है.
VIDEO: JNU के छात्रों की समस्या का हल कब होगा?
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