रांची:
झारखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को चुनौती दी कि वह राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस ले ले।
भाजपा ने यह चुनौती तब दी, जब पांच दिन पूर्व खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर झामुमो के सांसदों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। भाजपा खेमे में इसी बात को लेकर नाराजगी है।
पार्टी की झारखंड इकाई के प्रभारी हरेंद्र प्रताप ने सवाल किया, "झामुमो को राजभवन जाना चाहिए। हम अपनी सरकार को क्यों गिरने दें?" उन्होंने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो।
जवाब में, झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा, "भाजपा सत्ता की भूखी है। हम भाजपा को चुनौती देते हैं कि उसने अप्रैल 2010 में जैसा किया, वैसा ही रुख अपनाए।"
गौरतलब है कि झामुमो सांसद कामेश्वर बैठा ने एफडीआई पर लोकसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पक्ष में मतदान किया था जबकि उसी पार्टी के सांसद शिबू सोरेन ने मतदान से खुद को अलग रखा।
इसी तरह सात दिसम्बर को एफडीआई मुद्दे पर झामुमो के सदस्यों ने राज्यसभा में हुए मतदान में भाग न लेकर परोक्ष रूप से संप्रग सरकार की मदद की थी।
अप्रैल 2010 में मूल्यवृद्धि पर भाजपा द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर शिबू सोरेन ने संप्रग सरकार के पक्ष में मतदान किया था, जिससे नाराज होकर भाजपा ने झामुमो सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
उपमुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा था, "यह भाजपा को तय करना है कि हमें झारखंड सरकार में रहना है या नहीं। एफडीआई पर हमारा जो रुख था, हमने अपनाया।"
उल्लेखनीय है कि झारखंड में भाजपा सितम्बर 2010 में झामुमो के समर्थन से सत्ता में आई थी।
भाजपा ने यह चुनौती तब दी, जब पांच दिन पूर्व खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर झामुमो के सांसदों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया। भाजपा खेमे में इसी बात को लेकर नाराजगी है।
पार्टी की झारखंड इकाई के प्रभारी हरेंद्र प्रताप ने सवाल किया, "झामुमो को राजभवन जाना चाहिए। हम अपनी सरकार को क्यों गिरने दें?" उन्होंने कहा कि भाजपा नहीं चाहती कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो।
जवाब में, झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा, "भाजपा सत्ता की भूखी है। हम भाजपा को चुनौती देते हैं कि उसने अप्रैल 2010 में जैसा किया, वैसा ही रुख अपनाए।"
गौरतलब है कि झामुमो सांसद कामेश्वर बैठा ने एफडीआई पर लोकसभा में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पक्ष में मतदान किया था जबकि उसी पार्टी के सांसद शिबू सोरेन ने मतदान से खुद को अलग रखा।
इसी तरह सात दिसम्बर को एफडीआई मुद्दे पर झामुमो के सदस्यों ने राज्यसभा में हुए मतदान में भाग न लेकर परोक्ष रूप से संप्रग सरकार की मदद की थी।
अप्रैल 2010 में मूल्यवृद्धि पर भाजपा द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर शिबू सोरेन ने संप्रग सरकार के पक्ष में मतदान किया था, जिससे नाराज होकर भाजपा ने झामुमो सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
उपमुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा था, "यह भाजपा को तय करना है कि हमें झारखंड सरकार में रहना है या नहीं। एफडीआई पर हमारा जो रुख था, हमने अपनाया।"
उल्लेखनीय है कि झारखंड में भाजपा सितम्बर 2010 में झामुमो के समर्थन से सत्ता में आई थी।