...तो रघुवंश बाबू के बेटे को MLC बनाएंगे नीतीश? अस्पताल से लिखी चिट्ठी पर राजद-जेडीयू आमने-सामने

उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रदेश सरकार रघुवंश प्रसाद सिंह की अंतिम इच्छा पूरी कर उन्हें सार्थक श्रद्धांजलि देगी. वे हमें अपने सपने सौंप कर गए हैं.

...तो रघुवंश बाबू के बेटे को MLC बनाएंगे नीतीश? अस्पताल से लिखी चिट्ठी पर राजद-जेडीयू आमने-सामने

खास बातें

  • रघुवंश बाबू की चिट्ठी पर जेडीयू-राजद में रार
  • राजद का सवाल- जब वेंटिलेटर पर थे तो कैसे लिख सकते थे खत?
  • रघुवंश बाबू के बेटे को MLC नामित कराने की चर्चा तेज
पटना:

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janta Dal) के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की अंत्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को हुई लेकिन उनकी चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अस्पताल से लिखे उनके पत्रों पर विवाद शुरू हो गया है. राजद नेता और प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि इस पत्र प्रकरण में साज़िश की बू आती है. उनका कहना है कि जिन-जिन तारीख़ों को पत्र जारी हुए हैं, उस दिन रघुवंश बाबू या तो आईसीयू में थे या वेंटिलेटर पर. ऐसे में ये पत्र किसने लिखा और किसने मीडिया में जारी किया? यह जाँच का विषय हो सकता है. हालाँकि, राजद के तमाम नेताओं के आग्रह पर उनके परिजनों ने अंत्येष्टि से पहले रघुवंश बाबू के पार्थिव शरीर को पटना के राजद कार्यालय नहीं ले जाने दिया.

इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि एक हफ़्ता पहले जब उन्होंने रघुवंश बाबू से दिल्ली में मुलाकात की थी, तब उनके रुख से तो नहीं लगता था कि वो राजद छोड़ने वाले हैं क्योंकि अपनी निजी बातचीत में उस समय भी वो नीतीश कुमार की आलोचना ही कर रहे थे.

सिंह ने आरोप लगाया है कि रघुवंश बाबू से जबरन चिट्ठी लिखवाई गई है. वहीं जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और राज्य सरकार में मंत्री नीरज कुमार का कहना है कि अगर पत्र जाली था तो जेल से बैठकर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने जवाब क्यों दिया? 

नीरज के अनुसार पत्रों पर सवाल खड़ा कर राजद नेता रघुवंश बाबू का अपमान कर रहे हैं. उनके अनुसार समाज में ख़ासकर चुनाव में आक्रोश ना झेलना पड़े इसलिए ऐसे सवाल किये जा रहे हैं जबकि सभी चिट्ठियां रघुवंश बाबू के हाथ से लिखी हुई हैं. रघुवंश सिंह की अंत्येष्टि में मंत्री नीरज भी  अपने मंत्रिमंडल सहयोगी जय कुमार सिंह और अन्य पार्टी नेताओं के साथ शामिल हुए थे.

जानकारों की मानें तो जो जून महीने में इस्तीफ़ा का पत्र था या पिछले हफ़्ते का जो पत्र सामने आया था, उसमें कोई संदेह नहीं कि वो रघुवंश बाबू ने लिखे थे. उनकी नाराज़गी राज्य सभा चुनाव में टिकट बँटवारे से जुड़ी थी. उन्हें लगता था कि लालू यादव धनकुबेरों के सामने अपने पुराने नेताओं को तरजीह नहीं देते लेकिन जब तेजप्रताप यादव ने उनपर व्यंग्य करते हुए यह कहा कि राजद एक समुद्र के समान है और उसमें से अगर एक लोटा पानी  चला जाता है तो उससे कुछ नहीं बिगड़ता. माना जा रहा था कि तेजप्रताप के इस बयान से रघुवंश सिंह काफ़ी आहत हुए थे.

जानकारों के मुताबिक, तभी रघुवंश बाबू ने किसी भी हालत में पार्टी में नहीं रहने का मन बना लिया था. हालाँकि, लालू यादव के कहने पर तेजप्रताप ने अपने बयान पर सफ़ाई भी दी थी लेकिन तब तक डैमेज हो चुका था. इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न सिर्फ उनके इलाज में व्यक्तिगत रुचि ली बल्कि उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों से भी बातचीत की. इसको देखते हुए अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वो जनता दल यूनाइटेड में जा सकते हैं. लेकिन ये भी सच है कि जिस-जिस दिन उनके पत्र जारी हुए, उस-उस दिन रघुवंश प्रसाद सिंह वेंटिलेटर पर थे जिसके कारण ये विवाद तूल पकड़ता जा रहा है.

रघुवंश बाबू के निधन के बाद अब राजनीतिक हलकों में ये भी चर्चा हो रही है कि आने वाले दिनो में उनके बड़े बेटे को नीतीश कुमार राज्यपाल कोटे से विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करवा सकते हैं.

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इस बीच, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि प्रदेश सरकार रघुवंश प्रसाद सिंह की अंतिम इच्छा पूरी कर उन्हें सार्थक श्रद्धांजलि देगी. वे हमें अपने सपने सौंप कर गए हैं. उन्होंने लालू परिवार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि रघुवंश बाबू वैशाली के गौरव, लोकतंत्र की गरिमा, किसानों के खेत और गरीबों के पेट की चिंता करने वाले राजनेता थे, लेकिन आखिरी वक्त में वे दम्भी, परिवारवादी और निजी सम्पत्ति बनाने के लिए राजनीति का दुरुपयोग करने वालों से इस कदर घिर गए थे कि उन्हें मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखनी पड़ी.