अन्नाद्रमुक प्रमुख जयजललिता को तत्काल कोई राहत नहीं मिल पाई है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके जमानत आग्रह और दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 1 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी है, इसलिए अब उन्हें सुनवाई की तिथि तक जेल में ही रहना होगा।
जब मामला आदालत में आया तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत में विशेष लोक अभियोजक रहे (एसपीपी) जी भवानी सिंह ने न्यायाधीश को बताया कि उन्हें उच्च न्यायालय में दायर आपराधिक अपील के लिए एसपीपी नियुक्त किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
सिंह ने अदालत से और समय की मांग की जिसपर अवकाशकालीन पीठ की न्यायाधीश रत्नकला ने सुनवाई के लिए मामले को 1 अक्तूबर तक स्थगित कर दिया। पहले इस सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर रखी गई थी।
अपनी याचिकाओं में तत्काल जमानत मांगते हुए और अपनी सजा को चुनौती देते हुए जयललिता ने उल्लेख किया है कि उन पर लगे संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने कानून सम्मत साधनों से संपत्ति हासिल की थी।
जयललिता ने यह भी तर्क दिया कि निचली अदालत ने कई फैसलों की अनदेखी की गई है और बाध्यकारी प्रकृति के कई आयकर आदेशों और आयकर अपील प्राधिकरण के फैसलों पर विचार नहीं किया, जिसने उनके द्वारा बताए गए आय और व्यय के स्तर को स्वीकार कर लिया था। पूर्व मुख्यमंत्री की सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरन, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त पुत्र, और इलावरासी ने भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत मांगी है और अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है।
न्यायाधीश ने जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का और तीन अन्य पर 10-10 करोड़ रूपये का जुर्माना भी लगाया था।
जयललिता ने अपील में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने का आग्रह किया और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना देने से भी इनकार कर दिया। मामला अवकाशकालीन पीठ के समक्ष आया क्योंकि उच्च न्यायालय में 29 सितंबर से 10 अक्तूबर तक दशहरा पर्व की छुट्टियां हैं।
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