जाट आंदोलन के मद्देनर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी....
चंडीगढ़:
जाट आरक्षण की मांग को लेकर जाट संगठन एक बार फिर आंदोलन कर रहे हैं. जाट नेता यशपाल मलिक की अगुवाई में आज राज्य के 19 जिलों में धरने का आयोजन किया गया है. समिति पिछले साल हुए आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लिए जाने और बंद आंदोलनकारियों को रिहा करने की भी मांग कर रही है. पिछले साल फरवरी में आंदोलन के हिंसक रूप लेने के मद्देनज़र प्रशासन इस बार अलर्ट पर है. कई जिलों में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी किया है.
वहीं सुरक्षा के मद्देनज़र रोहतक, सोनीपत, झज्जर ज़िले के कई हिस्सों ख़ासकर हाइवे पर धारा 144 लगा दी गई है. 5 या उससे ज़्यादा लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर भी रोक है. आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पारामिलिट्री फ़ोर्स की 55 कंपनियों की मांग की. पूरे राज्य में होम गार्ड के 7000 जवानों की तैनाती कर दी गई है. पिछले साल हुए हिंसा में रोहतक, सोनीपत, झज्जर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ था और राज्यभर में 30 लोगों की मौत हुई थी.
हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राम निवास ने कहा, हम स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यद्यपि विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों के नेताओं ने शांतिपूर्व ढंग से धरना देने का वादा किया है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर ली है.
वहीं जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख जय सिंह फौजी ने आरक्षण आंदोलन के ताजा आह्वान से पहले नरवाना में समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की. उन्होंने बैठक के बाद कहा, हम अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार हमें आरक्षण समझौते के बारे में लिखित में कोई आश्वासन नहीं दे देती.
वहीं सुरक्षा के मद्देनज़र रोहतक, सोनीपत, झज्जर ज़िले के कई हिस्सों ख़ासकर हाइवे पर धारा 144 लगा दी गई है. 5 या उससे ज़्यादा लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर भी रोक है. आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पारामिलिट्री फ़ोर्स की 55 कंपनियों की मांग की. पूरे राज्य में होम गार्ड के 7000 जवानों की तैनाती कर दी गई है. पिछले साल हुए हिंसा में रोहतक, सोनीपत, झज्जर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ था और राज्यभर में 30 लोगों की मौत हुई थी.
हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राम निवास ने कहा, हम स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यद्यपि विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों के नेताओं ने शांतिपूर्व ढंग से धरना देने का वादा किया है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए पूरी तरह से तैयारी कर ली है.
वहीं जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख जय सिंह फौजी ने आरक्षण आंदोलन के ताजा आह्वान से पहले नरवाना में समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की. उन्होंने बैठक के बाद कहा, हम अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार हमें आरक्षण समझौते के बारे में लिखित में कोई आश्वासन नहीं दे देती.
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