नई दिल्ली / चेन्नई:
अगले माह होने वाले उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर जद(यू) नेता शरद यादव द्वारा संभवत: अभी तक कोई मन नहीं बनाए जाने के बीच इस पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार की दौड़ में भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह सबसे आगे चल रहे हैं।
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शरद यादव इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि यूपीए उम्मीदवार हामिद अंसारी के पक्ष में खासा संख्या बल नजर आ रहा है।
बताया जाता है कि कुछ भाजपा नेताओं ने यादव से मुलाकात की और उनसे कहा कि वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन जाएं ताकि गंभीर मुकाबला हो सके। बहरहाल यादव ने इन खबरों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी कि एनडीए उन्हें इस पद के लिए उम्मीदवार बनाने के बारे में सोच रहा है। उन्होंने कहा कि वह इन अटकलों का जवाब नहीं देंगे।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा को जसवंत सिंह पर भरोसा करना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने सात अगस्त को होने वाले चुनाव में उतरने की मंशा जताई है।
नजमा हेपतुल्ला का नाम भी संभावित उम्मीदवारों के रूप में लिया जा रहा है क्योंकि उन्होंने भी चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। उन्होंने 2007 में अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
एनडीए की सोमवार सुबह होने वाली बैठक में इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल ने संकेत दिया है कि वह उप राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को आसान जीत देने के पक्ष में नहीं है। उसे अंसारी को लेकर आपत्तियां हैं। इसका कारण 29 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान उनका आचरण था। इसी के चलते भाजपा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है।
भाजपा के सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शरद यादव इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि यूपीए उम्मीदवार हामिद अंसारी के पक्ष में खासा संख्या बल नजर आ रहा है।
बताया जाता है कि कुछ भाजपा नेताओं ने यादव से मुलाकात की और उनसे कहा कि वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बन जाएं ताकि गंभीर मुकाबला हो सके। बहरहाल यादव ने इन खबरों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी कि एनडीए उन्हें इस पद के लिए उम्मीदवार बनाने के बारे में सोच रहा है। उन्होंने कहा कि वह इन अटकलों का जवाब नहीं देंगे।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा को जसवंत सिंह पर भरोसा करना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने सात अगस्त को होने वाले चुनाव में उतरने की मंशा जताई है।
नजमा हेपतुल्ला का नाम भी संभावित उम्मीदवारों के रूप में लिया जा रहा है क्योंकि उन्होंने भी चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। उन्होंने 2007 में अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
एनडीए की सोमवार सुबह होने वाली बैठक में इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल ने संकेत दिया है कि वह उप राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस को आसान जीत देने के पक्ष में नहीं है। उसे अंसारी को लेकर आपत्तियां हैं। इसका कारण 29 दिसंबर 2011 को राज्यसभा में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान उनका आचरण था। इसी के चलते भाजपा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है।
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