31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में दो केंद्रित शासित प्रदेशों में बंट जाएगा. इसमें एक हिस्सा लद्दाख का अलग होगा. इसके साथ ही यहां पर कई चीजें बदल जाएंगी. माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रहे महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और फारुक अबदुल्ला को अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे. मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को 1 नवंबर तक बंगाल खाली करने का नोटिस दे दिया गया है. दोनों ही इस समय 5 अगस्त से हिरासत में हैं. अभी तक सुरक्षा वजहों से इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों (महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती) को सुरक्षा का हवाला देकर श्रीनगर के अति सुरक्षा वाली जगह गुपकर रोड में आवंटित किया गया था. ये सभी बंगले इन नेताओं को आजीवन आवंटित थे. फिलहाल इन सभी को विकल्प के तौर पर यह भी कहा गया है कि जिन लोगों के पास जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सरकारी बंगले हैं वह दोनों में से किसी एक जगह सरकारी बंगला ले सकते हैं.
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद बाकी राज्यों को पूर्व मुख्यमंत्रियों को यह बंगले खाली करने पड़ गए थे. लेकिन अनुच्छेद 370 लागू होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं हुआ था. वहीं अब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद न सिर्फ बंगला खाली करना पड़ेगा बल्कि जम्मू-कश्मीर विधानमंडल सदस्य पेंशन एक्ट 1984 निष्प्रभावी हो जाएगा जिसके तहत इन विधायकों को भत्ते और सुविधाएं मिल रही थीं. इस एक्ट को1996 तक सुविधानुसार कई बार संशोधित भी किया जा चुका है. प्रशासन की ओर से कई पूर्व विधायकों और विधान परिषद को सदस्यों को भी सरकारी संपत्ति खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है.
अनुच्छेद 370 की वजह से
सूचना का अधिकार (RTI) का नियम लागू नहीं था
शिक्षा का अधिकार का नियम (RTE) का नियम लागू नहीं था
CAG नहीं लागू नहीं थाट
कश्मीर में महिलाओं के लिए शारिया कानून लागू था.
पंचायतों को अधिकार नहीं था.
कश्मीर में अल्पसंख्यक (हिंदू और सिखों) को मिलने वाला आरक्षण लागू नहीं था.
अनुछ्चेद 370 हटने के बाद
अन्य राज्यों के लोग भी कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे.
निजी उद्योग लगाने के लिए लोग जमीन खरीद सकेंगे.
पाकिस्तानी नागरिक कश्मीर की लड़की से शादी करने के बाद अब भारत की नागरिकता नहीं पा सकेंगे.
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