प्रतीकात्मक चित्र
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर में इस बार लोगों को बिना इंटरनेट सेवाओं के ईद-उल-जुहा मनाना पड़ेगा, क्योंकि राज्य सरकार ने शुक्रवार सुबह से शनिवार शाम तक डाटा सेवाओं को स्थगित करने का आदेश दिया है। सरकार को असामाजिक तत्वों द्वारा सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए इसका दुरुपयोग करने की आशंका है।
बकरीद के मौके पर सभी सेवा प्रदाताओं के लिए पुलिस का यह निर्देश गोमांस पर पाबंदी को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है। पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर) एजेएम गिलानी ने एक आदेश जारी कर सभी सेवा प्रदाताओं को शुक्रवार सुबह पांच बजे से शनिवार रात 10 बजे तक सभी डाटा सेवाएं स्थगित करने का निर्देश दिया है।
आदेश में कहा गया है, 'असामाजिक तत्वों द्वारा डाटा सेवाओं (जीपीआरएस, टूजी, थ्रीजी) के दुरुपयोग की आशंका, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसके चलते आपसे 25 सितंबर की सुबह पांच बजे से लेकर 26 सितंबर की शाम 10 बजे तक जीपीआरएस, टूजी, थ्रीजीऔर ब्रॉडबैंड के मार्फत डाटा सेवाएं पूर्णरूप से स्थगित करने का अनुरोध किया जाता है।' जम्मू क्षेत्र में भी ऐसा ही निर्देश दिया गया है। यह पाबंदी इसलिए लगाई गई है, ताकि कोई भी वीडियो अपलोड नहीं किया जा सके या सोशल नेटवर्किंग साइट पहुंच के बाहर हो।
यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा गोहत्या एवं गोमांस की बिक्री संबंधी एक पुराने कानून को लागू करने के निर्देश दिए जाने की पृष्ठभूमि में सांप्रदायिक तनाव का डर है। कुछ अलगाववादी संगठनों ने कहा है कि वे अदालती आदेश का उल्लंघन करेंगे।
बकरीद के मौके पर सभी सेवा प्रदाताओं के लिए पुलिस का यह निर्देश गोमांस पर पाबंदी को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है। पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर) एजेएम गिलानी ने एक आदेश जारी कर सभी सेवा प्रदाताओं को शुक्रवार सुबह पांच बजे से शनिवार रात 10 बजे तक सभी डाटा सेवाएं स्थगित करने का निर्देश दिया है।
आदेश में कहा गया है, 'असामाजिक तत्वों द्वारा डाटा सेवाओं (जीपीआरएस, टूजी, थ्रीजी) के दुरुपयोग की आशंका, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसके चलते आपसे 25 सितंबर की सुबह पांच बजे से लेकर 26 सितंबर की शाम 10 बजे तक जीपीआरएस, टूजी, थ्रीजीऔर ब्रॉडबैंड के मार्फत डाटा सेवाएं पूर्णरूप से स्थगित करने का अनुरोध किया जाता है।' जम्मू क्षेत्र में भी ऐसा ही निर्देश दिया गया है। यह पाबंदी इसलिए लगाई गई है, ताकि कोई भी वीडियो अपलोड नहीं किया जा सके या सोशल नेटवर्किंग साइट पहुंच के बाहर हो।
यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा गोहत्या एवं गोमांस की बिक्री संबंधी एक पुराने कानून को लागू करने के निर्देश दिए जाने की पृष्ठभूमि में सांप्रदायिक तनाव का डर है। कुछ अलगाववादी संगठनों ने कहा है कि वे अदालती आदेश का उल्लंघन करेंगे।
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