जम्मू-कश्मीर में ब्यूरोक्रेट से राजनेता (Bureaucrat-turned-Politician) बने शाह फैसल (Shah Faesal) ने सोमवार को सियायत छोड़ने का ऐलान किया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (Jammu and Kashmir People's Movement) से इस्तीफा दे दिया. इस पार्टी का गठन उन्होंने सिविल सेवा छोड़ने के बाद पिछले साल किया था. पार्टी की ओर से आज जारी बयान में कहा गया, 'डॉ. शाह फैसल ने स्टेट एक्जीक्यूटिव मेंबर्स को सूचित किया है कि वे राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखने की स्थिति में नहीं है और वे संगठन में जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते हैं.' भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से इस्तीफा देकर पिछले वर्ष जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) का गठन करने वाले शाह फैसल ने इसके अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. फैसल ने राजनीति छोड़ने का संकेत रविवार को ही दे दिया था जब उन्होंने ट्विटर पर अपनी निजी जानकारी संपादित करते हुए अपनी राजनीतिक सम्बद्धता के बारे में उल्लेख हटा दिये थे.उनसे टिप्पणी के लिए सम्पर्क नहीं हो सका.
शाह फैसल की याचिका पर जम्मू-कश्मीर सरकार ने दाखिल किया हलफनामा
जेकेपीएम की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि राज्य में जारी राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा के लिए पार्टी की कार्यकारिणी समिति की सोमवार को एक ऑनलाइन बैठक हुई.जेकेपीएम ने कहा, ‘‘बैठक में, सांगठनिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने के डॉ. शाह फैसल के अनुरोध पर चर्चा की गई.डॉ. फैसल ने राज्य कार्यकारिणी के सदस्यों को सूचित किया था कि वह राजनीतिक गतिविधियां जारी रखने की स्थिति में नहीं हैं और वह चाहते हैं कि उन्हें संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.''पार्टी ने कहा, ‘‘इस अनुरोध को ध्यान में रखते हुए, उनकी गुजारिश को स्वीकार करने का निर्णय लिया गया ताकि वह अपने जीवन में बेहतर तरीके से कार्यों को जारी रख सकें और जहां भी चाहें अपना योगदान दें.''जेकेपीएम के बयान में कहा गया है कि जब तक अध्यक्ष पद के लिए औपचारिक चुनाव नहीं हो जाते उपाध्यक्ष फिरोज पीरजादा को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त करने का सर्वसम्मति से फैसला किया गया है.इसमें कहा गया है कि कमेटी ने इसके चेयरमैन जावेद मुस्तफा मीर का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया, जो एक पूर्व विधायक हैं.
जनवरी 2019 में सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर सभी को हैरान करने वाले फैसल ने दो महीने बाद अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली थी.उन्हें पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था, जब केंद्र ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था.
फैसल के खिलाफ कड़े जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और उन्हें बाद में जून में रिहा कर दिया गया था. (भाषा से भी इनपुट)
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