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This Article is From Dec 20, 2018

भारत के उच्च वर्ग का एक तबका ‘सड़े आलू’ जैसा, समाज के प्रति नहीं है संवेदनशील : सत्यपाल मलिक

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने देश के धनाढ्य वर्ग के एक तबके को सड़े आलू जैसा बताया और कहा कि उनमें समाज के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है.

भारत के उच्च वर्ग का एक तबका ‘सड़े आलू’ जैसा, समाज के प्रति नहीं है संवेदनशील : सत्यपाल मलिक
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने देश के धनाढ्य वर्ग के एक तबके को सड़े आलू जैसा बताया और कहा कि उनमें समाज के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है और वे कोई धर्मार्थ कार्य नहीं करते. राज्यपाल मलिक अनेक बार कश्मीर के अमीर नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ मुखर हो चुके हैं. वह राज्य के सैनिक वेल्फेयर सोसाइटी के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.    

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राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘इस देश में जो धनाढ्य हैं उनका एक बड़ा वर्ग...कश्मीर में नेता और नौकरशाह सभी अमीर हैं...उनमें समाज के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है. वे एक रुपए का भी धर्मार्थ कार्य नहीं करते.' उन्होंने कहा, ‘इनमें से उच्च वर्ग में कुछ हैं. आप इसे बुरे तरीके से नहीं लें, मैं उन्हें इंसान नहीं ‘सड़े आलू' के समान मानता हूं .' 

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इस दौरान एक पत्रकार ने उनसे प्रश्न किया कि देश का अमीरतम व्यक्ति जो अपनी बेटी की शादी में 700 करोड़ रुपए खर्च करता है, क्या वह कोई धर्मार्थ कार्य करता है. इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह धर्मार्थ कार्य नहीं करता लेकिन देश के धन में इजाफा करता है.' इस दौरान उन्होंने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया.

सत्यपाल मलिक के कहा, ‘यूरोप में और अन्य देशों में वे धर्मार्थ कार्य करते हैं. माइसॉफ्ट के मालिक अपनी संपत्ति का 99 प्रतिशत धर्मार्थ कार्यों के लिए देते हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि वह धर्मार्थ कार्य नहीं करते लेकिन देश की संपत्ति में इजाफा करते हैं.'     उन्होंने कहा कि 700 करोड़ रुपए से राज्य में 700 बड़े स्कूल बनाए जा सकते थे और शहीदों की 7000 विधवाएं अपने बच्चों का लालन पालन कर सकती थीं. 

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राज्यपाल ने कहा, ‘लेकिन वे धर्मार्थ कार्य नहीं करेंगें. समाज के इस तबके (उच्च वर्ग) में जो संवेदनशीलता होनी चाहिए वह इनमें नहीं हैं.' उन्होंने कहा कि समाज उच्च वर्ग से नहीं बनता बल्कि किसानों ,कर्मचारियों, उद्योंगों में काम करने वाले लोगों और सशस्त्र बलों में काम करने वाले लोगों से बनता है. उन्होंने कहा, ‘चलें हम अपने सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाएं , उनकी मदद करें और उन्हें याद रखें.'

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