जामिया फायरिंग केस: निशाने पर था शाहीन बाग, ऑटो ड्राइवर की वजह से टला बड़ा कांड

जामिया मिल्लिया में गुरुवार को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर एक किशोर ने गोलीबारी कर दी थी जिसमें एक छात्र घायल हो गया.

जामिया फायरिंग केस: निशाने पर था शाहीन बाग, ऑटो ड्राइवर की वजह से टला बड़ा कांड

नाबालिग यूपी के जेवर का रहने वाला है.

नई दिल्ली:

जिस नाबालिग ने गुरुवार को जामिया यूनिवर्सिटी के पास हो रहे प्रदर्शन में फायरिंग की थी, उसके निशाने पर जामिया नहीं, बल्कि शाहीन बाग था. पुलिस ने बताया कि पूछताछ से पता चला है कि उसे अपने किए का कोई पछतावा नहीं है. दिल्ली पुलिस सूत्रों ने बताया कि वह सोशल मीडिया, टीवी कवरेज और व्हॉट्सऐप वीडियो से काफी प्रभावित था. नाबालिग वहां दहशत फैलाकर सड़क खुलवाने आया था, लेकिन उसे पता नहीं था कि शाहीन बाग का रास्ता कहां से है. शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हैं. हजारों की संख्या में महिलाएं और बच्चे सड़क पर बैठे हैं, जिसकी वजह से यातायात प्रभावित हो रहा है. 

उत्तर प्रदेश के जेवर के रहने वाले नाबालिग ने अपने परिवार को बताया था कि वह स्कूल जा रहा है, लेकिन उसने बस पकड़ी और नोएडा से दिल्ली आग गया. वह अपनी योजना को अंजाम देने के लिए अपने दोस्त से देसी पिस्टल भी मांगकर आया था. फिर ऑटो वाले ने उसे जामिया इलाके में छोड़ दिया. ऑटो वाले ने कहा की वो शाहीन बाग नहीं जा पायेगा, वहां का रास्ता बंद है, यहां से पैदल चले जाओ. वो करीब 12 बजे जामिया पहुंचा और उसने देखा कि यहां प्रोटेस्ट की तैयारी चल रही है. फिर उसने वहीं फायरिंग कर दी. 

जामिया के पास हुई फायरिंग पर राहुल गांधी ने पूछा- हमलावर को किसने पैसे दिए?

वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर एक किशोर द्वारा गोली चलाए जाने की घटना को लेकर शुक्रवार को सवाल किया कि इस बंदूकधारी को पैसे किसने दिए थे. संसद भवन परिसर में गांधी ने गुरुवार को जामिया में गोलीबारी की घटना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘उसको पैसे किसने दिए?'

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गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया में गुरुवार को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर एक किशोर ने गोलीबारी कर दी थी जिसमें एक छात्र घायल हो गया. पुलिस की मौजूदगी में गोली चलाने के बाद किशोर को यह भी कहते सुना गया कि ‘ये लो आजादी.'

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